भारत के करीब 20 करोड़ घरों में टीवी है। हाल ही में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने केबल टीवी और डायरेक्ट टू होम ( डीटीएच ) के लिए नए नियम लागू किए थे। इन नियमों का फायदा ग्राहकों को होगा। ग्राहक हर महीने अपने पैसे बचा सकेंगे। आइए जानते हैं कैसे।
भारत के करीब 20 करोड़ घरों में टीवी है। हाल ही में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने केबल टीवी और डायरेक्ट टू होम ( डीटीएच ) के लिए नए नियम लागू किए थे। इन नियमों का फायदा ग्राहकों को होगा। ग्राहक हर महीने अपने पैसे बचा सकेंगे। आइए जानते हैं कैसे।
ट्राई के सचिव एसके गुप्ता ने कहा कि पिछले साल फरवरी में जब पहली बार न्यू टैरिफ ऑर्डर (एनटीओ) जारी किया गया था, तब कंज्यूमर 130 रुपये एनसीएफ चुकाकर 100 चैनल देखते थे। वितरण प्लेटफॉर्म परिचालकों (डीपीओ) के फीडबैक के अनुसार, अधिकांश उपभोक्ता 200 के करीब चैनल्स सब्सक्राइब कर रहे थे। यानी 200 चैनलों में से 100 चैनल देखने के लिए ग्रोहक 130 रुपये चुकाते थे। वहीं बाकी के 100 चैनल्स के लिए 25 चैनल के स्लैब में 20-20 रुपये करके 80 रुपये नेटवर्क क्षमता शुल्क के रूप में भुगतान कर रहे थे। नियमों में बदलाव के बाद अब यह चार्ज नहीं लगेगा। यानी ग्राहकों के 80 रुपये बच जाएंगे और 130 रुपये में ही 200 चैनल्स देख सकेंगे।
भारत में करीब 60 लाख घरों में एक से अधिक कनेक्शन हैं। ऐसे ग्राहक भी हर महीने पैसे बचा सकेंगे। एक से ज्यादा कनेक्शंस वाले ग्राहक हर महीने 98 रुपये की बचत कर सकेंगे। पहले हर कनेक्शन के लिए ग्राहकों को 130 रुपये का भुगतान करना पड़ता था। जबकि नई पॉलिसी के तहत पहले कनेक्शन के लिए 130 रुपये और दूसरे व तीसरे कनेक्शन के लिए 130 रुपये का 40 फीसदी यानी 52 रुपये प्रति कनेक्शन देने होंगे।
नए पॉलिसी के अनुसार, अला कार्टे में एक चैनल का दाम भले ही कितना भी हो, लेकिन अगर ग्राहकों को चैनल बुके में मिलता है, तो उसका अधिकतम दाम 12 रुपये प्रति चैनल ही होगा। पहले यह कीमत 19 रुपये थी।
आईबीएफ अध्यक्ष और सोनी इंटरटेनमेंट के प्रमुख एनपी सिंह ने कहा कि पिछले साल आए टैरिफ आदेश के बाद चीजों को समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में टैरिफ दरों को नियंत्रित करने संबंधी किसी नए आदेश की जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा कि प्रसारणकर्ताओं को अभी उपभोक्ता द्वारा किए गए भुगतान का महज 25 फीसदी हिस्सा मिलता है, जबकि 65 फीसदी हिस्सा वितरक ले जाते हैं। इसके अलावा हम पिछले आदेश पर लोगों को जागरूक करने के लिए पहले ही 1,000 करोड़ रुपये खर्च चुके हैं। पिछले साल के आदेशों के बाद 1.2 करोड़ उपभोक्ताओं ने सेवाएं लेना भी बंद कर दिया है।