केंद्रीय श्रम संगठनों आठ जनवरी को देशभर में हड़ताल करेंगे। इससे पहले श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को श्रम मंत्री संतोष गंगवार से मुलाकात की थी। संगठनों के मुताबिक बैठक में उनकी किसी भी मांग का समाधान नहीं हो सका और इस कारण वह आठ जनवरी को भारत बंद की अपनी प्रस्तावित योजना को आगे बढ़ाएंगे। दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के मुताबिक वे केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में यह हड़ताल करने वाले हैं।
मंत्री से बातचीत में नहीं निकला रास्ता
दस सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया है कि प्रस्तावित आम हड़ताल आठ जनवरी, 2020 को होगी। बयान में कहा गया है कि बैठक के दौरान मंत्री ने यूनियनों के प्रतिनिधियों से कहा कि सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए हर जरूरी कदम उठा रही है और लेबर कोड पर लाए गए कानून उसी दिशा में उठाए गए कदम हैं। हालांकि, यूनियनों का कहना है कि श्रमिकों पर ‘गुलामी’ थोपने के लिए लेबर कोड लाया गया है। इन यूनियनों में AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, SEWA, AICCTU, LPF और UTUC शामिल हैं।
ऑटो सेक्टर के कर्मियों की भी उठी बात
साझा बयान में कहा गया है केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा लगातार उठाये जा रहे किसी भी मुद्दे का समाधान मंत्री ने नहीं किया है। संगठनों के मुताबिक ये मुद्दे बेरोजगारी, न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा एवं 14 सूत्री मांगों से जुड़े हैं। ट्रेड यूनियनों के मुताबिक सरकार ने 2015 के बाद से त्रिपक्षीय इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी नहीं किया गया है। श्रम संगठनों के मुताबिक मंत्री के साथ बैठक के दौरान ऑटो सेक्टर के कर्मचारियों की समस्याओं से भी मंत्री को अवगत कराया गया।
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