वाराणसी में पुल का बीम गिरने के हादसे में जब 18 लोगों की मौत हुई, उसके बाद कास्टिंग यार्ड बना कर पुलों के अधिकांश हिस्सों का निर्माण साइट पर न कराने का विचार सेतु निर्माण निगम के अफसरों के दिमाग में आया था। ये विचार 2020 में अमली जामा पहनेगा और पुलों के निर्माण के दौरान होने वाले हादसे रोके जा सकेंगे। सेतु निर्माण निगम मलिहाबाद में 15 एकड़ भूमि पर कास्टिंग यार्ड का निर्माण करवाएगा। इसके लिए जमीन स्वीकृत की जा रही है। पीडब्ल्यूडी सेतु निर्माण निगम को ये भूमि दिलाने के लिए जिलाधिकारी को प्रस्ताव भेज रहा है। ग्राम समाज की भूमि तलाश भी ली गई है। वाराणसी में 15 मई 2017 को लहरतारा में पुल का एक हिस्सा ढहने से 18 लोगों की मौत हो गई थी। यही नहीं करीब चार माह पहले पुराने शहर में भी पुल की शटरिंग गिरने से कुछ मजदूर घायल हुए थे।
सेतु निगम के एक अधिकारी ने बताया कि कास्टिंग यार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। मलिहाबाद में ग्राम समाज की भूमि की निशानदेही भी करवाई जा चुकी है। पीडब्ल्यूडी ये भूमि हमको दिलवाएगा। इसको लेकर जिलाधिकारी स्तर पर संवाद किया जा रहा है।
क्या होता है कास्टिंग यार्ड : कास्टिंग यार्ड एक ऐसा कारखाना है, जहां बड़े निर्माणों के छोटे हिस्से बनाए जाते हैं। इनको एक जगह कास्ट किया जाता है। फिर यहां से उठा कर इनको साइट पर ले जाकर फिट किया जाता है। इससे परियोजना का बजट भी कम होता है और हादसों की आशंकाएं भी काफी निर्मूल हो जाती हैं। साइट पर दिन में काम कम हो जाता है। इससे यातायात बाधित नहीं होता है। गर्डर और पीयर कैप रात में स्थापित किए जाते हैं।
राजधानी में लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने दो कास्टिंग यार्ड बनाए थे। इनमें से एक कानपुर रोड पर अमौसी एयरपोर्ट के पास और दूसरा यूनिवर्सिटी रोड पर कॉल्विन ताल्लुकेदार्स कॉलेज में। इस वजह से मेट्रो निर्माण खासा सुचारु रहा।