साइबर अपराधियों से खुद पुलिस भी सुरक्षित नहीं है। जालसाजों ने एएसपी विधानसभा शैलेंद्र कुमार राय के खाते में सेंधमारी कर दी। एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर ठगों ने करीब एक लाख रुपये पार कर दिए। मैसेज आने के बाद एएसपी को इसकी जानकारी हुई और उन्होंने एटीएम कार्ड बंद कराया।
ठगों ने सोमवार रात में 11 से 12 बजे के बीच पांच बार में एक लाख रुपये निकाले थे। एएसपी के मुताबिक, लगातार मैसेज आने पर उन्होंने मोबाइल फोन चेक किया और कार्ड ब्लॉक कराया, लेकिन तब तक रुपये निकल चुके थे। जालसाज ने 12 बजे के बाद भी रुपये निकालने का प्रयास किया था। एएसपी ने साइबर क्राइम सेल में मामले की शिकायत की है। छानबीन में सामने आया है कि जालसाजों ने कार्ड का क्लोन तैयार कर सेंधमारी की है। ठगों ने हैदराबाद के एटीएम से रुपये निकाले थे। साइबर क्राइम सेल की टीम पूरे मामले की पड़ताल कर रही है। हालांकि, अभी तक उन्हें कोई सफलता नहीं मिली है।
स्कीमर लगाकर किया खेल : जालसाज राजधानी के विभिन्न एटीएम में स्कीमर (डाटा चोरी करने की एक डिवाइस) लगाकर लोगों के कार्ड का डाटा चोरी कर ले गए। इस दौरान पुलिस को भनक तक नहीं लगी। लोगों के चोरी किए गए एटीएम के डाटा से ठग अहमदाबाद में बैठकर रुपये निकाल रहे हैं और पुलिस कुछ नहीं कर पा रही। सूत्रों के मुताबिक, हाल में ही कन्नौज में पकड़े गए गिरोह के बारे में पुलिस पता लगा रही है।
राजधानी में एटीएम कार्ड की क्लोनिंग फिर से शुरू हो गई है। दो साल पहले ठगों ने सैकड़ों लोगों के खाते से करोड़ों रुपये पार कर दिए थे। एक बार फिर जालसाजों ने दस्तक दी है और कई लोगों के एटीएम कार्ड का क्लोन बना लिया है। इस बार भी ठगों ने एटीएम में स्कीमर (एक तरह की चिप, जिससे कार्ड का डाटा चोरी करते हैं) लगाए थे। ऐसे में आप भी सावधान हो जाइए और एटीएम का इस्तेमाल करते समय सतर्कता बरतें।
जालसाज स्कीमर को कार्ड रीडर स्लॉट में लगाकर छोड़ देते हैं। लोग एटीएम में रुपये निकालने जाते हैं और जैसे ही कार्ड में उसमें डालते हैं सारा डाटा स्कीमर कॉपी कर लेता है। खास बात यह है कि अभी तक की जांच में यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ठगों ने किन किन इलाकों के एटीएम में सेंधमारी की है। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे बैंकों की लापरवाही उजागर हुई है। बैंकों के एटीएम में कैमरे लगे रहते हैं, जिनकी मॉनीटरिंग भी होती है। बावजूद इसके जालसाज एटीएम में छेड़छाड़ कर चले जाते हैं और बैंक के अधिकारियों अथवा सिक्योरिटी गार्ड को भनक तक नहीं लगती। जालसाज खातों में सेंधमारी के लिए ट्रे¨पग के जरिए कार्ड की जानकारी कॉपी कर लेते हैं।