युद्ध की बरसी पर श्रद्धांजलि देने के लिए कोरेगांव भीमा गांव के समीप ‘जय स्तंभ’ स्मारक पर हर साल लाखों लोग आते हैं। यह लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के पेशवा धड़े के बीच एक जनवरी 1818 को लड़ी गई थी।
कोरेगांव भीमा युद्ध को एक जनवरी 2018 को दो सौ साल पूरे होने के मौके पर हिंसा भड़क उठी थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने किसी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं।
जय स्तंभ पर जाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में पवार ने कहा कि वह महाराष्ट्र के लोगों की ओर से श्रद्धांजलि देने आए हैं। उन्होंने कहा कि इस स्तंभ का इतिहास है और हर साल लाखों लोग यहां आते हैं। दो साल पहले कुछ अप्रिय घटनाएं हुई थी लेकिन सरकार अत्यधिक सतर्कता बरत रही है और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए व्यापक पुलिस बंदोबस्त किए गए हैं।
पवार ने लोगों से शांतिपूर्ण तरीके से युद्ध स्मारक पर जाने के लिए कहा। एनसीपी नेता ने कहा कि मैं लोगों से यहां आने और श्रद्धांजलि देने की अपील करता हूं लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से आएं और अफवाहों पर भरोसा न करें।
प्रकाश आंबेडकर ने भी जय स्तंभ पर श्रद्धांजलि दी। ब्रिटिशों ने युद्ध में शहीद हुए लोगों की याद में पुणे-अहमदनगर रोड पर पेर्ने गांव में यह स्मारक बनवाया था। दलित नेता ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं क्योंकि महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी के बलों का हिस्सा थे। पेशवा ब्राह्मण थे और इस विजय को दलितों की जीत के तौर पर देखा जाता है।