मोटापा पूरी दुनिया में महामारी की तरह सामने आ रहा है। हालिया शोध के मुताबिक, मोटापे से बच्चों की याददाश्त भी कमजोर होती है। साथ ही सोचने और योजना बनाने में भी उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वेरमॉन्ट और येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस संबंध में अध्ययन किया है। अध्ययन के लिए 10,000 किशोरों के आंकड़े जुटाए गए। 10 साल चले अध्ययन के दौरान हर दो साल में उनकी जांच की गई और ब्लड सैंपल लिया गया।
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस दौरान उनके दिमाग की स्कैनिंग भी की जाती रही। वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन बच्चों का बीएमआइ ज्यादा होता है, उनका सेरेब्रल कॉर्टेक्स पतला हो जाता है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स एक परत है जो दिमाग के बाहरी हिस्से को ढकती है। इसके पतले होने से दिमाग की सोचने, याद रखने जैसी क्षमताएं प्रभावित हो जाती हैं।वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में इससे पहले के अध्ययनों से मिले निष्कर्षों का समर्थन किया जिनमें पाया गया था कि उच्च बीएमआइ वाले बच्चों की वर्किंग मेमरी कमजोर होती है।
अभी हाल ही में द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया के करीब एक तिहाई निम्न आय वाले देशों को मोटापे और कुपोषण की दोहरी मार से जूझना पड़ रहा है। ऐसा खाद्य प्रणाली में हुए बदलावों की वजह से हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ वर्षों से निम्न आय वाले देशों में सुपरमार्केट बढ़ गए हैं और ताजा खाद्य बाजार खत्म होने लगे हैं। इससे स्थिति खराब हुई है। यही नहीं खाद्य शृंखला को कंपनियों द्वारा नियंत्रित किए जाने के कारण भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है।
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