लंबे इंतजार के बाद भारत को जनरल बिपिन रावत के रूप में पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) मिल गया है। सेनाध्यक्ष के तौर पर जनरल रावत का कार्यकाल 31 दिसंबर, 2019 को खत्म हो जाएगा। जिसके बाद वह सीडीएस के तौर पर अपनी नई जिम्मेदारी को संभालेंगे। सीडीएस का पद सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों से ऊपर फोर स्टार जनरल के समकक्ष होगा। जनरल रावत के सीडीएस बनने पर अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने उन्हें बधाई दी है।

विदेश मंत्रालय के दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो ने कहा, ‘भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने पर जनरल रावत को बधाई। उनकी नियुक्ति से अमेरिका और भारत की सेनाओं के बीच संयुक्त सहयोग को उत्प्रेरित करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सैन्य संबंध और अच्छे होंगे।’
बता दें कि साल 1999 में करगिल युद्घ के बाद इस संबंध में गठित की गई करगिल सुरक्षा समिति ने सीडीएस की नियुक्ति का सुझाव दिया था। तब समिति ने कहा था कि देश की सुरक्षा केलिए चुनौतीपूर्ण स्थितियों से निपटने केलिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल-समन्वय स्थापित करना जरूरी है।
इसके लिए सीडीएस की नियुक्ति की जाए। सीडीएस सेना के तीनों अंगों थल सेना, वायुसेना और नौसेना का एकीकृत सैन्य सलाहकार होगा। इसके दो दशक के बाद पीएम मोदी ने बीते स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक सैन्य सुधार की जरूरत बताते हुए सीडीएस की नियुक्ति की घोषणा की थी। तब एनएसए अजित डोभाल की अध्यक्षता में एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया था। इस कमेटी ने सीडीएस की नियुक्ति के तौर तरीकों, जिम्मेदारियों और कार्यप्रणाली तय किए थे।
बीते हफ्ते 24 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक में सीडीएस की नियुक्ति पर मुहर लगी थी। इस दौरान इसके चार्टर और कर्तव्य को मंजूरी दी गई थी। इसमें तय किया था कि इस पद को ग्रहण करने वाला व्यक्ति भविष्य में किसी प्रकार का सरकारी पद हासिल करने का पात्र नहीं होगा।
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