हमने अक्सर अपने बड़े बुजुर्गों से अपने खानपान में घी शामिल करने के बारे में सुना है । घी का सेवन हमें कई सारे फायदे प्रदान करता है । लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस आयुर्वेदिक औषधि के बारे में अनेको भ्रम फैलाए गए हैं । इसे हमारे आहार से लगभग गायब कर दिया गया है । मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, रक्तचाप, हृदय रोग जैसे न जाने कितनी चीजों का ठीकरा घी के सर पर ही फोड़ दिया गया है । ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है गर्भवती महिलाओं व बच्चों पर ।
गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब शरीर पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है । घी, अनेको विटामिल व खनिज तत्वों का अच्छा स्रोत होने के नाते एक अत्यंत महत्वपूर्ण खाद्द पदार्थ था । इस भ्रम को दूर करने के लिए यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि गर्भावस्था के समय देसी घी का सेवन करना क्यों जरूरी है।
गर्भावस्था में घी खाने के कई फायदे होते हैं । इसका सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए । देसी घी में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन, खनिज व वसा होती है जो गर्भावस्था के दौरान अत्यंत लाभदायक होते हैं । गर्भावस्था के दौरान मां व पेट में पल रहे शिशु दोनों को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है, इसलिए इस समय देशी घी को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए।
घी में एंटी वायरल गुण भी होता है, जो कि पाचन तंत्र को मजबूत करता है। इसके अलावा बच्चे के विकास के लिए मां को लगभग 300 कैलोरी की दैनिक आवश्यकता होती है, जो कि देसी घी से आसानी से मिल जाती है।
हालांकि देसी घी का सेवन गर्भावस्था में एक निश्चित मात्रा में ही करना चाहिए । गर्भावस्था में एक महिला को दिनभर में 50 ग्राम से ज्यादा फैट का सेवन नहीं करना चाहिए। देसी घी में उपलब्ध एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर को शुद्ध रखने में सहायक होते हैं ।
अपने खाने में निश्चित मात्रा में घी शामिल कर हम अनेक लाभ ले सकते हैं । लेकिन गर्भावस्था के समय देसी घी का सेवन शारीरिक बनावट पर भी निर्भर करता है । आपका शरीर किस प्रकार है तथा उसे कितनी मात्रा में देसी घी लेना है इसके लिए चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।