देश में सीएए को लेकर समर्थन और विरोध दोनों ही तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। वहीं पाकिस्तान से 15 साल पहले भारत आए पाकिस्तानी सीएए का समर्थन कर रहे हैं। हरियाणा के रोहतक जिले के गांव काहनौर और मदीना में 70 ऐसे पाकिस्तानी परिवार रहते हैं, जिनके पास भारत की नागरिकता नहीं है। उन्होंने बताया कि वे पाकिस्तान में घुट-घुटकर जी रहे थे। टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे। इसके बाद कभी पाकिस्तान की तरफ मुंह करके नहीं देखा। सोच लिया था कि मर जाएंगे, लेकिन कभी पाकिस्तान वापस नहीं जाएंगे। यह बताते हुए यहां रह रहे पाकिस्तानी परिवारों के सदस्यों की आंखें भर आती हैं। उनका कहना है कि अब वे खुश हैं। नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करते हुए कहा कि उनको अब भारत का नागरिक बनने का अवसर मिल गया है।
काहनौर में रहने वाले सूबा राम ने बताया कि वे पाकिस्तान में काउंसलर थे। वहां उनके साथ वहां बड़ा भेदभाव किया जाता था। उन्हें प्रताडि़त किया जाता था, ताकि इस्लाम अपना लें। बहू-बेटियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता था। जब धर्म नहीं बदला तो यातानाएं दी गई। सन 2004 में किसी तरह उस नरक से निकलकर भारत पहुंचे। इसके बाद कभी पाकिस्तान नहीं गए। वहां अपनी जमीन-घर व सबकुछ छोड़कर आ गए थे।
पाकिस्तान में बिताए दिनों का याद भी नहीं करना चाहते
काहनौर में ही वजीरचंद हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में जितना समय बिताया, उसे अब याद भी करने से डर लगता है। जिस तरह का व्यवहार उनके साथ किया जाता था, ऐसा तो जानवरों के साथ भी नहीं किया जाता है। पाकिस्तान के लइया जिला से वह टूरिस्ट वीजा पर 2007 में भारत आए थे। इसके बाद कलानौर के गांव काहनौर में रहने लगे। गांव में वह पत्नी शम्मो, बेटी बंतो के साथ खुशी से रह रहे हैं।
नमाज पढऩे का दबाव डालते थे
सुमन ने बताया कि पाकिस्तान से आए हंसदास के साथ परिवार ने शादी कर दी। शादी के बाद उसके पति ने जो वहां की कहानी बताई, उसे सुनकर रोंगटे खड़े हो गए। हंसदास ने बताया कि उसे पढऩे नहीं दिया गया। किसी तरह 12वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद डाक्टर का कोर्स करना चाहते थे। लेकिन इसका विरोध किया जाने लगा। नमाज पढऩे के लिए मजबूर किया जाता था। फिरोजा ने बताया कि उसके पति तारिक लाल को साथ भी पाकिस्तान में यातननाएं दी गई। उनका कहना था कि परिवार के सदस्य कभी पाकिस्तान नहीं जाना चाहते। अब सरकार को नागरिक संशोधन कानून लेकर आई है, उससे भारत की नागरिकता मिल जाएगी और वे खुद को गर्व से भारतीय कहेंगे।