छतरपुर के बक्स्वाहा स्थित बंदर हीरा खदान मंगलवार को 11 घंटे की मैराथन ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया के बाद रात 10:05 बजे नीलाम हो गई। इस खदान से मध्य प्रदेश सरकार को करीब 23 हजार करोड़ रुपए (30.5 फीसदी हिस्सेदारी और 11.50 फीसदी रॉयल्टी) का राजस्व मिलेगा।
मंगलवार सुबह 11 बजे से ऑनलाइन नीलामी शुरू हुई। नीलामी प्रक्रिया में देश की नामी कंपनियां अडानी, रूंगटा व बिड़ला ग्रुप शामिल हुईं। दोपहर एक बजे के बाद से तीनों कंपनियों के बीच खदान लेने को लेकर होड़ लग गई और हर पांच मिनट में बोली बढ़ती गई। पर्यावरण, माइनिंग और वाइल्ड लाइफ मंजूरी के बाद कंपनी अगले एक से डेढ़ साल में हीरा खोजना शुरू कर सकती है। खदान में 3.50 करोड़ कैरेट हीरे के भंडार का अनुमान है, जिसकी कीमत 55 हजार करोड़ आंकी गई है। सरकार को 41.55 फीसदी लाभ मिलेगा, जो 23 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा होगा।
सूत्र बताते हैं कि नीलामी में सबसे ज्यादा बोली लगाकर कुमार मंगलम बिड़ला समूह की कंपनी एस्सेल माइनिंग ने सफलता पा ली है। हालांकि खनिज साधन विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई का कहना है कि बिड खुलने से पहले कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। खनिज साधन विभाग ने खदान में 55 हजार करोड़ से अधिक मूल्य का 3.50 करोड़ कैरेट से ज्यादा हीरे का भंडार होने का अनुमान जताया है। इसी को आधार बनाकर निविदा मंगाई गई थीं। निविदा डालने वाली तीनों कंपनियों ने मंगलवार सुबह से बोली लगाना शुरू की, जो देर रात तक चलती रही। कंपनियों ने करीब पांच-पांच मिनट के अंतर से बोली लगाई। सुबह 11 बजे से शुरू हुई बोली दोपहर एक बजे तक सामान्य तरीके से चलती रही।