डॉक्टर हो या वकील, ड्राइवर हो या कुली, सबके पास एक ड्रेस होती है और सबके पास सरकार की तरफ से मिला एक पहचान पत्र होता है। इससे उनकी सेवा लेने वाले व्यक्ति को सेवा की गुणवत्ता के बारे में एक भरोसा मिलता है और किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचने में मदद भी मिलती है। लेकिन दूध सप्लाई करने वाले दूधिए के पास न तो कोई पहचान पत्र होता है और न ही उसका कोई प्रशिक्षण होता है।
इससे लोगों तक असुरक्षित या निम्न गुणवत्ता का दूध पहुंचने की आशंका बनी रहती है। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा क्योंकि FSSAI ने हर ‘दूध वाले भैया’ को एक पहचान पत्र देने का फैसला किया है। पहचान पत्र दिए जाने के पहले दूधियों का प्रशिक्षण भी कराया जाएगा, ताकि वे अपनी सेवाओं के दौरान दूध की गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकें।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पवन अग्रवाल ने राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day) पर देश में दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक एक्शन प्लान का विमोचन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि दूध भी खाद्य पदार्थों की श्रेणी में आता है और इसे बेचने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।
लेकिन एजेंसियों के ढीलेढाले रवैये के चलते इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका। वही, अब दुग्ध उत्पाद बेचने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।