पेंशन को लेकर टेंशन अब नहीं होगी। पूर्व सैनिकों के लिए रक्षा लेखा विभाग ने कॉल सेंटर बनाया है। हमको देश के सेवारत जवानों की तरह पूर्व सैनिकों पर गर्व है। सियाचिन जैसे हालात में हमारे जवान तैनात रहते है।

वो दाढ़ी तक नहीं बनाते। पूर्व सैनिकों में आज भी देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ये बात छावनी के एएमसी स्टेडियम में शनिवार को आयोजित रक्षा पेंशन अदालत में कहीं। वहीं महाराष्ट्र में सरकार बनाने के सवाल पर राजनाथ सिंह ने कहा कि ये राज्यपाल का अधिकार क्षेत्र है। इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
इस दौरान यहां मौजूद कंट्रोलर जनरल डिफेन्स अकाउंट (सीजीडीए) संजीव मित्तल ने बताया कि देशभर मेंं 171 अदालतेें हैं, और 1987 से चल रही है। पूर्व सैनिकों के परिजनों के लिए रक्षा पेंशन अदालत भूत पूर्व सैनिकों तक पहुंचने का अच्छा माध्यम है। इसका उद्देश्य पेंशन संबंधी समस्याओं का निस्तारण करना है।
रक्षा लेखा विभाग पेंशन अदालत आयोजित करते हैं। जिससे उनकी समस्याएं पता चल सकें। उनसे पता किया जाए क्या उन्हें सही पेंशन मिल रही है या नहीं। अदालत में पेंशन निस्तारण टीम मौजूद रहती है उनका पूरा डेटाबेस मौजूद रहता है। पेंशन अदालत में बैंक और पेंशन के अधिकारी रहते हैं।
हमारी कोशिश रहती है ज्यादा से ज्यादा पेंशन मामले निस्तारण हो सके। रक्षा पेंशन संबंधित अपडेट पोर्टल पर अपडेट किए जाते हैं। रक्षा विभाग का इलाहाबाद का दफ्तर पेंशन की समस्या, नया सेंटर की तैयारी की है जिससे सारी प्रक्रिया डिजिटल होगी। वर्ततमान मेें 32 लाख पेंशनर है, जो हर साल 80 से 85 हजार पेंशनर जुड़ जाते हैं।
रक्षा विभाग का बजट साढ़े चार लाख करोड़ है इसका 26 प्रतिशत बजट पेंशनर के लिए जाता है। कंप्रीहेंसिव पेंशन सिस्टम शुरू होगा तब शिकायतों में वृहद स्तर पर कमी आएगी।
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