आजकल ज्यादातर लोगों को कब्ज की समस्या होती है। यही वजह है व्यक्ति पूरा दिन थका-थका सा महसूस करता है। कब्ज की वजह से न ही अच्छी भूख लगती है और नहीं अच्छी नींद आती है। ऑफिस में भी सुस्ती महसूस करता है।

कब्ज एक आम समस्या है। हम में से बहुत से लोग इस समस्या से कभी न कभी जूझते रहते हैं। यह समस्या बड़ों को ही नहीं बल्कि आजकल बच्चों में भी देखने को मिलती है। इसका कारण सही खान-पान न होना भी इस रोग को जन्म देता है। इस तरह को लोगों मल त्यागने में कठिनाई होती है। कई बार कई दिनों तक मल नहीं आता। कब्ज से पीडि़त व्यक्ति को टायलेट में पन्द्रह से तीस मिनट तक का समय भी लग सकता है। इतना समय लगने पर भी हो सकता है मल सख्त, गांठदार, बदबूदार और काफी कम मात्रा में हो।
इस तरह के रोगी को सिर तथा पेट में दर्द बना रहता। पुराना होने पर कुछ अन्य बीमारियां जैसे सायटिका, शरीर में सूजन, पैरों की नसों का फूलना, अंतडी में घाव और आंतों में कृमि आदि हो सकती हैं। कब्ज से आंतों में कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं जिससे रक्त दूषित होता है तथा बाद में रक्त विकार पैदा होते हैं।
इस समस्या का समाधान नैचुरल तरीके से करें। कब्ज के मरीज यदि नियमित रूप से पादहस्तासान का अभ्यास करें तो उनकी यह समस्या आसानी से दूर हो सकती है।
कुछ घरेलू और आसान तरीकों से भी कब्ज से बच सकते हैं। जैसे सुबह उठकर गुनगुना या ताजा पानी पियें। निश्चित समय पर शौंच क्रिया की आदत बनायें। मल विसर्जन की इच्छा को मत दबाएं। रात को तांबे के बर्तन में पानी रखकर सुबह पियें यह भी लाभकारी होगा। इसबगोल की भूसी को दूध या पानी में डालकर पीने पेट साफ होगा।
आपने खाने पीने की आदतों बदलाव करिए और रोज टहलने, व्यायाम करने की आदत भी कब्ज की समस्या को कम करती है। दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी पीजिए। खाने हरी सब्जियां, फलों का सेवन करें जैसे गाजर, अमरूद, पपीता, केला, शरीफा आदि यह भी कब्ज को कम करते हैं।
खाली पेट चाय या कॉफी बिल्कुल न पियें । शाकाहारी भोजन का ही प्रयोग करें, क्योंकि यह मांसाहारी भोजन की तुलना में आसानी से पच जाता है। पानी की उचित मात्रा भी कब्ज निवारण के लिए जरूरी है। भोजन के बीच में या भोजन के तुरन्त बाद पानी नहीं पीना चाहिए। कम से कम दस गिलास पानी रोज पीना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमेशा भूख से थोड़ा कम खाना चाहिए। पेट के दो हिस्से अन्न, दाल-सब्जी व सलाद से भरने चाहिएं तथा एक हिस्सा पानी से भरना चाहिए। एक हिस्सा वायु के आने-जाने के लिए खाली छोड़ देना चाहिए।
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