अबुल कलाम आजाद ने 11 वर्षों तक देश की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया: राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

भारत में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर सरकार की तरफ से अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. जिसमें देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में किए गये कार्यों को बताया जाता है. देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद भारत के प्रमुख स्वत्रंता सेनानियों में से थे.

अपने राजनीतिक जीवन में शुरू से आखिर तक कांग्रेस से जुड़े रहे और कई साल तक कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षता भी की. मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था. मौलाना आजाद 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक देश के शिक्षा मंत्री रहे.

मौलाना अबुल कलाम आजाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने. उस वक्त देश में शिक्षा की स्थिति चिंताजनक थी. लेकिन दूरदर्शी शिक्षा मंत्री ने अपने प्रयास से कई ऐसे संस्थानों की आधारशिला रखी, जिसका फायदा भारत को आज तक मिल रहा है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए अबुल कलाम आजाद ने IIT और UGC की स्थापना की. अबुल कलाम आजाद की दिलचस्कपी कला-संस्कृित में भी थी. इसलिए उन्होंने बच्चों में कला–संस्कति को बढ़ावा देने के लिए संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी जैसे संस्थानों की बुनियाद रखी.
कलाम शिक्षा में लड़के और लड़कियों में सख्त मुखालिफ थे. उन्होंने लोगों से लड़कियों को भी पढ़ाने की वकालत की. अबुल कलाम आजाद ने 11 वर्षों तक देश की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया. 1992 में भारत सरकार ने सियासत, शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए मरणोपरान्त भारत रत्न से नवाजा. हालांकि उनके जीवनकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने की मंशा जाहिर की थी, जिसे मौलाना ने ये कहते हुए ठुकरा दिया कि भारत सरकार में मंत्री रहते इस सम्मान का लेना उनकी नैतिकता के खिलाफ है.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com