दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल फूंका जा चुका है जहां बीजेपी से लेकर आम आदमी पार्टी तक अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली चुनाव आयोग ने 15 नवंबर को दिल्ली के सभी पार्टियों की बैठक बुलाई है. इस तरह की बैठक इसलिए बुलाई जाती है ताकि अगर अलग-अलग राजनीतिक दलों को कोई शिकायत है या फिर अगर उनको चुनाव आयोग के सामने कोई बात रखनी है तो वह रखी जा सके. दिल्ली में 9 राजनीतिक पार्टियां हैं जो कि विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाएंगी .
दरअसल, चुनाव आयोग 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक वोटर लिस्ट को लेकर समीक्षा करेगा जिसके तहत अगर किसी का वोटर लिस्ट में नाम छूट गया हो या किसी को जुड़वाना हो, इसके लिए वह पार्टियों को बुलाती है. ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे राजनीतिक दल, चुनाव आयोग को ऐसी बातें बता सकें.
वहीं, 1 जनवरी 2020 को अगर कोई 18 साल की उम्र को पूरा करता है तो वो भी अपना वोटर कार्ड बनवा सकता है. सभी पार्टियां हर विधानसभा के लिए अपने किसी नेता को वोटर लिस्ट का ही काम देती हैं. इस बैठक में वोटर लिस्ट को लेकर सामने आ रही शिकायतों को लेकर भी चर्चा की जाएगी.
साथ ही साथ ही बैठक में उम्मीदवारों के चुनावी खर्चे और राजनीतिक दलों के चुनावी खर्चा को लेकर चर्चा हो सकती है. इसके साथ ही राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को चुनावी खर्चे के बारे में जो जानकारी देनी होती है, वह वक्त पर दी जाए, उस बारे में भी बात हो सकती है.