कार्तिक के महीना पर श्रीहरि की विशेष कृपा होती है. अक्षय नवमी भी कार्तिक की ही शुभ तिथि है, जब अमर फल कहे जाने वाले आंवले के अलग-अलग प्रयोगों से दैवीय कृपा और वरदान पाए जाते हैं. अक्षय नवमी की तिथि पर आंवले के प्रयोगों के साथ-साथ उसके पूजन की भी परंपरा है. लेकिन ये पूजा साधारण नहीं है. आज हम आपको अक्षय नवमी तिथि पर आंवले की उपासना की सबसे उत्तम विधि बताएंगे और इसे अमर फल क्यों कहा जाता है.
आंवले का फल पौराणिक दृष्टिकोण से रत्नों के समान मूल्यवान माना जाता है. कहते है कि शंकराचार्य ने इसी फल को स्वर्ण में परिवर्तित कर दिया था. इस फल का प्रयोग कार्तिक मास से आरम्भ करना अनुकूल माना जाता है. इस फल के सटीक प्रयोग से आयु, सौन्दर्य और अच्छे स्वस्थ्य की प्राप्ति होती है. मात्र यही ऐसा फल है जो सामान्यतः नुक्सान नहीं करता. इस फल को नौजवानी का फल भी कहते हैं. इसे ग्रहण करने से बुढ़ापा नहीं आता.
– इसके फल में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है
– अतः यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देता है
– इसके नियमित सेवन से सामान्यतः रोग नहीं होते, सर्दी जुकाम तक नहीं होते.
– बाल लम्बे और घने होते हैं, त्वचा चमकदार और सुन्दर हो जाती है
– आंवले के रस को शहद के साथ लेने से रक्त सम्बन्धी समस्या दूर होती है. ह्रदय रोग से छुटकारा मिलता है