समझा जाता है कि कानून मंत्रालय मतदाता सूची में मौजूदा मतदाताओं और नए आवेदकों की प्रविष्टियों की जांच के लिए आधार संख्या लेने को वैधानिक समर्थन देने पर विचार कर रहा है। इस बारे में चुनाव आयोग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है ताकि मतदाता सूची में एक ही व्यक्ति का नाम कई स्थानों पर नहीं रह सके।
अगस्त 2015 में आधार कार्ड के संबंध में दिए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची को यूआईडीएआई (आधार) संख्या से जोड़ने की चुनाव आयोग की योजना को रोक दिया था। चुनाव आयोग उस समय राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण और प्रमाणीकरण कार्यक्रम (एनईआरपीएपी) के तहत आधार संख्या ले रहा था।
आयोग ने कानून मंत्रालय को लिखे एक पत्र में प्रस्ताव दिया है कि जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों में संशोधन किया जाए ताकि चुनाव आयोग मतदाता बनने के लिए आवेदन करने वालों और जो पहले से सूची में हैं, उनसे आधार संख्या ले सके। सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्रालय निर्वाचन कानून में संशोधन पर विचार कर रहा है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कार्रवाई की जा रही है। चुनाव आयोग द्वारा अगस्त में भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि निर्वाचन कानूनों को संशोधित किया जाना चाहिए ताकि चुनाव पंजीकरण अधिकारी मौजूदा मतदाताओं के साथ ही नए आवेदन करने वालों से उनकी आधार संख्या मांग सकें।