भारत को आज फ्रांस से पहला राफेल लड़ाकू विमान मिल रहा है। इस विमान के भारत आने के साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ वायुक्षेत्र में भारत के दबदबे का दौर शुरू होगा। कहा जा रहा है कि राफेल के आने से भारत को नई सामरिक क्षमता मिलेगी जो अब तक उसके पास नहीं थी। इसे भारत की सामरिक जरूरतों के हिसाब से अनेक हथियारों से लैस किया गया है।
यह कई खूबियों वाले राडार वार्निग रिसीवर, कई लो लैंड जैमर, दस घंटे तक की डाटा रिकार्डिग, इजरायली हेल्मेट उभार वाले डिस्प्ले, इन्फ्रारेड सर्च एवं ट्रैकिंग सिस्टम जैसी क्षमताओं से लैस है। आइये जानें कि यह पाकिस्तान के एफ-16 पर किस तरह भारी है और चीन के जे-20 फाइटर जेट की तुलना में कहां खड़ा है…
इस रडार सिस्टम के आगे नहीं ठहरता है एफ-16
इन हथियारों के आगे कहीं नहीं ठहरता है एफ-16
राफेल मीटिअर और स्काल्प (meteor and scalp missile) मिसाइलों के साथ उड़ान भर सकता है। मीटिअर मिसाइलें 150 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर हवा में गति कर रहे टारगेट पर भी सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं। यही नहीं ये मिसाइलें जेट से लेकर छोटे मानव रहित विमानों के साथ-साथ क्रूज मिसाइलों को भी ध्वस्त कर सकती हैं।
वहीं स्काल्प मिसाइलें करीब 300 किलोमीटर दूर जमीन पर किसी भी टारगेट को तबाह कर सकती हैं। ये मिसाइलें राफेल को जमीन से निशाना साध रहे हथियारों से भी बचाती हैं। वहीं पाकिस्तान के एफ-16 में लगने वाली एमराम मिसाइलों की रेंज अधिकतम 100 किलोमीटर तक ही है।
राफेल महज एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है। यह 17 हजार किलोग्राम र्इंधन क्षमता से लैस है। यह हर तरह के मौसम में एक साथ कई काम करने में सक्षम है। यह परमाणु अटैक, क्लोज एयर सपोर्ट, लेजर डायरेक्ट लॉन्ग रेंज मिसाइल अटैक और ऐंटी शिप अटैक में अचूक है। यह 2,223 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से 24,500 किलो तक का वजन ले जाने में सक्षम है।
यही नहीं 60 घंटे की अतिरिक्त उड़ान भी भर सकता है। यह 18,288 मिनट प्रति मिनट की रफ्तार से ऊंचाई पर पहुंचता है जबकि एफ-16 की रेट ऑफ क्लाइंब 15,240 मीटर/मिनट है। हालांकि, रफ्तार के मामले में पाकिस्तान का एफ-16 (2415 किमी/घंटा) आगे है।
राफेल भले ही एफ-16 पर भारी पड़ रहा हो लेकिन चीन के जे-20 श्रेणी के विमानों की चुनौती बड़ी है। चीन के जे-20 विमानों की कॉम्बैट रेडियस 3400 किलोमीटर है जिसके आगे राफेल नहीं टिकता है। चीन का यह विमान पीएल-15 और पीएल-21 मिसाइलों से लैस है जिनकी रेंज क्रमश: 300 और 400 किलोमीटर है। यह 18 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है जबकि राफेल और एफ-16 इस मामले में काफी पीछे हैं।
चीन आने वाले वर्षों में जे-20ए विमानों को अपनी वायुसेना में शामिल कर रहा है। इसे देखते हुए भारतीय वायुसेना को भी अपनी क्षमताओं में इजाफा करना होगा। हालांकि, भारत के लिए अच्छी बात यह है कि उसे मीटियोर मिसाइल मिल रही है जिसे BVRAAM (Beyond Visual Range Air to Air Missile) की अगली पीढ़ी की मिसाइल भी कहा जाता है और यह एशिया में किसी दूसरे देश के पास नहीं है।