भारत का शुमार विश्व के उन देशों में है जो अपने अनूठे वास्तु के चलते हर साल देश दुनिया के लाखों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। आज यहां कई ऐसे स्मारक मौजूद हैं जिनको यदि आप ध्यान से देखें तो आपको भारत के गौरवशाली इतिहास का पता चल जायगा।
भारत की धरती पर मौजूद ये ईमारत ऐसे हैं जिनको सिर्फ देखने मात्र से ही खुद-ब-खुद वाह निकल जायगा और आप अपने और अपनी धरोहरों पर गर्व करेंगे।
भारत अपनी सभ्यता, संस्कृति, धर्म, कला और योग के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत अपनी ऐतिहासिक विरासतों के लिए विश्वप्रसिद्ध है. यही कारण है कि यूनेस्को द्वारा भारत की कुल 36 जगहों को वर्ल्ड हैरिटेज की श्रेणी में रखा गया है. आज हम आपको ऐसे ही 15 विश्व धरोहरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने पूरी दुनिया में देश का नाम रौशन किया.
ताज महल
आगरा में स्थित ‘ताज महल’ को मुग़ल बादशाह शाहजहां ने सन 1632 में अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था. सन 1983 में ताजमहल यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना. ताजमहल में आपको मुग़ल, फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला का अनोखा मिश्रण देखने को मिलेगा.
आगरा का किला
16वीं शताब्दी में निर्मित ‘आगरा का किला’ को भी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है. ये शानदार किला ताजमहल से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. ये किला हमें लालकिले की याद दिलाता है. मुगल बादशाह बाबर, हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगज़ेब ने यहीं से पूरे भारत पर शासन किया था.
हम्पी के स्मारक
कर्नाटक में स्थित हम्पी को भी यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल की श्रेणी में रखा है. तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी. यहां आज भी घाटियों और टीलों के बीच पांच सौ से भी ज़्यादा स्मारक चिह्न हैं. इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष जैसी असंख्य इमारतें हैं.
कोणार्क का सूर्य मंदिर
13वीं शताब्दी में बना कोणार्क का सूर्य मंदिर ओडिशा में स्थित है. अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध ये ख़ूबसूरत मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है. प्राचीन काल की कहानियों को दर्शाते हुए यहां पत्थरों पर अद्भुत नक्काशी की गई है. इस मंदिर को गौर से देखने पर ऐसा लगता है मानो 7 घोड़ों और 12 जोड़ी पहियों वाला कोई विशाल रथ ही खड़ा हो.
राजस्थान के ‘6 हिल फ़ोर्ट्स’
राजस्थान के ‘6 पहाड़ी किले’ यूनेस्को के विश्व धरोहर में शामिल हैं. ये किले 5वीं से लेकर 18वीं सदी तक चले राजपूत शासन के प्रतीक हैं. राजस्थान के ‘6 पहाड़ी किले’ के नाम से मशहूर ये राजसी किले हैं जैसलमेर किला, कुंभलगढ़ किला, आमेर किला, गागरोन किला, चित्तौड़गढ़ किला और रणथंभौर किला.
रानी की वाव
11वीं शताब्दी में निर्मित ‘रानी की वाव’ गुजरात के पाटण में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआं) है. 22 जून 2014 को इसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित किया गया. सन 1063 में रानी उदयमती ने इसे अपने पति और सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम की याद में बनवाया था.
भीमबेटका रॉक शेल्टर्स
भीमबेटका मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में स्थित एक पाषाण काल में आवासीय स्थल हुआ करता था. ये जगह आदि-मानवों द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है. यहां की गुफ़ाओं में बने चित्र मध्यपाषाण काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक की अवधि के प्रतीत होते हैं. इस जगह के आस-पास के 21 गांवों में रहने वाले लोगों की सांस्कृतिक परम्पराएं इन चित्रों से मेल खाती हैं.
खजुराहो के मंदिर
मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में स्थित ‘खजुराहो’ अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये जाना जाता है. यहां बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं जो अपनी अद्भुद वास्तुकला के दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं.
यहां लक्ष्मी मंदिर, वराह मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, कंदरिया महादेव मंदिर, सिन्ह मंदिर, देवी जगदम्बा मंदिर, सूर्य (चित्रगुप्त) मंदिर, विश्वनाथ मन्दिर, नन्दी मंदिर, पार्वती मंदिर,वामन मंदिर, जावरी मंदिर, जैन मंदिर, दक्षिणी समूह, चतुर्भुज मंदिर और दुल्हादेव मन्दिर बेहद प्रसिद्ध हैं.
पश्चिमी घाट
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला को पश्चिमी घाट या वेस्टर्न घाट कहते हैं. करीब 1600 किलोमीटर में फैला ये घर विश्व का 8वां सबसे बड़ा क्षेत्र है. इसकी सीमाएं गुजरात और महाराष्ट्र से शुरू होते हुए गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और कन्याकुमारी में जाकर समाप्त होती हैं. साल 2012 में यूनेस्को ने इसके 39 स्थानों को विश्व धरोहर की श्रेणी में शामिल किया था.
महाबलीपुरम के स्मारक
चेन्नई से करीब 55 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में स्थित महाबलीपुरम मंदिरों के शहर के नाम से प्रसिद्ध है. तमिलनाडु का ये प्राचीन शहर अपने भव्य नक्काशी, पत्थरों को काटकर बनाये गए मंदिरों, गुफ़ाओं और समुद्र तटों के लिए प्रसिद्ध है. द्रविड वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध ये शहर 7वीं सदी में पल्लव राजाओं की राजधानी हुआ करता था.
हुमायूं का मक़बरा
सन 1570 में निर्मित हुमायूं का मक़बरा दिल्ली में स्थित हैं. ये मक़बरा मुग़ल वास्तुकला का प्रतीक है. इस ख़ूबसूरत मक़बरे का निर्माण लाल बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट के साथ सफ़ेद संगमरमर से किया गया है. इस मकबरे की आश्चर्यजनक वास्तुकला विश्व के सात अजूबों में से एक ‘ताजमहल’ के डिजाइन से मिलती जुलती है.
सांची स्तूप
सांची मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में बेतवा नदी के तट स्थित एक छोटा सा गांव है. सांची अपने प्राचीन बौद्ध स्मारकों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. ये स्मारक तीसरी सदी से लेकर बारहवीं सदी के बीच के बताये जाते हैं. यहां छोटे-बड़े अनेकों स्तूप हैं जिन्हें प्रेम, शांति, विश्वास और साहस का प्रतीक माना जाता है. सांची के मुख्य स्तूप को सम्राट अशोक ने बनवाया था.
अजंता-एलोरा गुफ़ाएं
महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के पास ही स्थित विश्वप्रसिद्ध अजंता और एलोरा की गुफ़ाएं हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रही हैं. ये गुफ़ाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं.
यहां की अद्भुद चित्रकारी व मूर्तियां कलाप्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं. 29 गुफ़ाएं अजंता में जबकि 34 गुफ़ाएं एलोरा में स्थित हैं. इन्हें अब वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया जा रहा है ताकि पूरी दुनिया भारतीय कला की इस उत्कृष्ट मिसाल को देख सके.
गोवा के चर्च और अभ्यारण्य
गोवा का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में सबसे पहले ख़ूबसूरत समुद्रीय तट और नाइटलाइफ़ आती है. गोवा सिर्फ़ इनके लिए ही नहीं, बल्कि प्राचीन वास्तुकला, नक्काशी और आर्किटेक्चर के लिए भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यहां का ‘Basilica of Bom Jesus’ चर्च अपनी बारोक वास्तुकला के कारण वर्ल्ड हेरिटेज की श्रेणी है.
‘नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान’
उत्तराखण्ड के चमोली ज़िले में स्थित ‘नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान’ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, असंख्य मात्रा में खिलने वाले फूलों, दुर्लभ पेड़-पौधों, लुप्त होते जंगली जानवरों और पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है. यही कारण है कि इसे वर्ल्ड हैरिटेज की श्रेणी में रखा गया है