सवाल – हमने संयुक्त नाम से खरीद के लिए 2019-20 में एक प्लॉट की सिर्फ पहली किस्त दोनों के एकाउंट से आधी-आधी दी थी। इसके बाद कुछ कारणें से एक साल बाद रजिस्ट्री के वक्त पूरा भुगतान, स्टाम्प पेपर चार्ज सब पत्नी के खाता से देकर रजिस्ट्री उसी के नाम करवाई है।
ऐसे में जो बयाने की पहली आधी किस्त अपने खाते से दी थी, उसे उपहार दिखा सकते है या पत्नी के खाता में ट्रांसफर करना होगा। क्या पति द्वारा पत्नी को दिया गया उपहार टैक्स की श्रेणी में आता है
जवाब – पति द्वारा पत्नी को दिया गया उपहार धारा 56(2) के अनुसार टैक्स की श्रेणी में नहीं आता। परन्तु, धारा 64(1) के अनुसार यदि उस गिफ्ट से पत्नी को कोई आय होती है तो फिर वह आय पति की आय में जोड़ी जाएगी।
आयकर विवरणी भरते समय संपत्ति के खरीद की जानकारी नहीं दी जाती केवल बिक्री के समय ही इसकी जानकारी देनी होती है। आपको अपनी बैलेंश शीट अभी से बनाकर रखनी चाहिए। आयकर अधिकारी जरूरत पड़ने पर मांग सकते हैं।
सवाल – एक राज्य कर्मचारी जो एन.पी.एस. खाताधारी टीयर 1 है जिसकी 80 सी में कुल बचत 1.50 लाख रुपये पूरी होने पर क्या 50 हजार रुपये की अतिरिक्त छूट बिना अंशदान के प्राप्त कर सकता है। यदि 80 सी की कुल बचत 1.50 लाख रुपये के कम है तो एन.पी.एस. की अतिरिक्त छूट 50000 रुपये मिलेगी या नहीं।
जवाब – जी हां। टीयर 1 एन.पी.एस. खाताधारी 80 सी में कुल बचत 1.50 लाख रुपये पूरी करने के बाद 50 हजार की अतिरिक्त छूट बिना अंशदान के प्राप्त कर सकते हैं। परन्तु यदि 80 सी की बचत 1.50 लाख रुपये से कम है तो छूट इस प्रकार प्राप्त होगी हमें समझना चाहिए।
जैसे आपने एन.पी.एस. में निवेश 90 हजार रुपये किया तथा पीपीएफ और बीमा किश्त में 1.10 लाख रुपये तो आपको छूट इस प्रकार प्राप्त होगी: 80 सी में 1.10 लाख रुपये, 80सीसीडी (1) में 40 हजार रुपये तथा 80सीसीडी(1बी) में 50 हजार रुपये।
सवाल – मेरी माताजी का अभी हाल ही में 88 वर्ष की आयु में देहान्त हो गया। उनकी कुछ सावधि जमा बैंक में थी। इस साल हम उनका फॉर्म 15 एच बैंक में जमा नहीं करा पाए। इस कारण से बैंक ने उनको मिलने वाले ब्याज पर, स्त्रोत पर, कर की कटौती (टीडीएस) लिया है। उनकी अन्य कोई आय नहीं है तथा ब्याज आय भी न्यूनतम कर योग्य आय से कम है। अभी उनका बैंक खाता भी बन्द हो जाएगा। ऐसे में काटे गये कर का रिफंड कैसे प्राप्त किया जा सकता है
जवाब – देखिए मृत व्यक्ति की भी कर विवरणी जमा की जा सकती है यदि उनके जीवित रहने तक की कोई आय या रिफंड है। परन्तु इसके लिए उनके कानूनी उत्तराधिकारी को मृत व्यक्ति के साथ अपने आपको कानूनी उत्तराधिकारी के रुप में रजिस्टर करना होगा। कानूनी उत्तराधिकारी के लिए यह अनिवार्य है कि उनके पास इस बात का प्रमाण पत्र किसी कोर्ट ऑफ लॉ के द्वारा जारी किया गया हो।
इसके साथ ही मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र तथा दोनों का उत्तराधिकारी एवं मृत व्यक्ति का पैन नंबर भी होना आवष्यक है। इसके बाद अधिकारी द्वारा जांच की जाएगी। जांच में कोई गड़बड़ी नहीं पाए जाने पर मृत व्यक्ति की कर विवरणी में उत्तराधिकारी अपने खाते को लॉग-इन करके मृत व्यक्ति की, कर विवरणी जमा करके, आयकर रिफंड प्राप्त कर सकेगा।