दिल्ली पुलिस जिस महिला को आठ साल से तलाश रही थी, वह आश्रय गृह में ही मिल गई। बेटी का पता लगाने के लिए वर्षों तक पुलिस और अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले पिता ने अब उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए उसे पास रखने से इनकार कर दिया है। महिला का पति इस स्थिति में नहीं है कि मानसिक रूप से बीमार पत्नी को अपने साथ रख सके।

हाईकोर्ट ने परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार से 31 साल की महिला को आश्रय गृह (आशा किरण होम) में रखने का आदेश दिया है। जस्टिस मनमोहन और संगीता डी. सहगल की बैंच ने कहा है कि महिला के हित में बेहतर होगा कि उसे रोहिणी के अवंतिका स्थित आशा किरण होम में रखा जाए।
इससे पहले, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पीठ को बताया कि जिस महिला का पता लगाने के लिए याचिका दाखिल की गई है, वह आशा किरण होम में मिली है। वह आठ साल से यहां रह रही थी।
महिला की मानसिक स्थिति को देखते हुए उसके पिता ने उसे अपने पास रखने से मना कर दिया। महिला के पति की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह पत्नी को अपने पास रख सके। उसका पति बधिर है। साथ ही उसे एक आंख से दिखाई नहीं देता और किसी तरह अपना जीवन गुजार रहा है।
सरकारी स्कूल में होगा दाखिला : हाईकोर्ट के आदेश पर महिला के बड़े बेटे का दाखिला नांगलोई स्थित नगर निगम के स्कूल में चौथी कक्षा में कराया गया है। छोटे बेटे का दाखिला भी इसी स्कूल में कराने का आदेश दिया गया है।
पिता के हवाले किया जाएगा बेटा
पिछले आठ साल से आशा किरण होम में रही महिला के एक बेटे को किसी अन्य दंपति को गोद देने के लिए गैर सरकारी संगठन ‘ममता’ (वर्ल्ड एडॉप्शन एजेंसी) में पंजीकृत कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा है कि चूंकि बच्चे के माता-पिता जीवित हैं, इसलिए उसे किसी को गोद नहीं दिया जा सकता। न्यायालय ने बच्चे को तत्काल उसके पिता के हवाले करने का आदेश दिया है। महिला का बड़ा बेटा पहले से ही पिता के पास रह रहा है।
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