अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता के बिना किसी नतीजे के खत्म हो जाने के बीच भारत ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को लेकर कदम उठाने चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने सुरक्षा परिषद में कहा कि अफगानिस्तान की सीमाओं से परे (पाकिस्तान में) तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, दाएश, अल-कायदा और उसके सहयोगी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद की सुरक्षित पनाहगाहों और उनका समर्थन करने वालों (पाकिस्तानी सेना और आईएसआई) की पहचान की जानी चाहिए।
अफगानिस्तान के मसले पर सुरक्षा परिषद की तिमाही बैठक को संबोधित करते हुए अकबरुद्दीन ने आगाह किया कि यदि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता नहीं दिखाई तो आतंकवाद को पनपने का मौका मिल जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खात्मे की लड़ाई में अफगान सुरक्षा बलों के प्रति की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए समर्थन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए अफगान नेतृत्व और तालिबान के बीच सीधी बातचीत का समर्थन करता है।
भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि अफगानिस्तान और उसके सीमाई क्षेत्र में आतंक फैला रहे तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, आईएस और उसके सहयोगी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। आतंक के माहौल में शांति और समझौते की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती है। अफगानिस्तान में हाल के दिनों में हिंसा बढ़ी है, जिससे चुनाव प्रक्रिया को पैदा हो गया है।
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सचिव एंटोनियो गुटेरेस के विशेष प्रतिनिधि तादामिची यामामोटो ने कहा कि तालिबान द्वारा चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने की धमकी दिए जाने के बाद आम अफगानिस्तानी लोगों में डर का माहौल है।