अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सेटेलाइट की मदद से वैज्ञानिकों ने तीन नए एक्सोप्लैनेट का पता लगाया है। ये ग्रह पृथ्वी से 73 प्रकाशवर्ष दूर स्थित हैं। एक्सोप्लैनेट ऐसे ग्रह होते हैं जो हमारे सौर मंडल के बाहर स्थित हैं और किसी तारे के चारों को घूमते रहते हैं।
तीनों ग्रहों में से एक ग्रह चट्टानी और पृथ्वी से थोड़ा-सा बड़ा है, जबकि दो अन्य गैसीय और हमारे ग्रह के आकार से दोगुने हैं। नासा के ‘हंटिंग सेटेलाइट’ से खोजी गई नए तारों की प्रणाली, जिसे टीईएसएस ऑब्जेक्ट ऑफ इंटरेस्ट या टीओआइ-270 कहा जाता है, बिल्कुल वैसी ही है जैसी ट्रांसिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सेटेलाइट (टीईएसएस) को खोजने के लिए डिजाइन की गई थी।
ये ग्रह रहने के लिए अनुकूल हो सकते हैं, क्योंकि ये अपने तारे से इतनी दूरी पर स्थित हैं कि तारों की गर्मी से यहां के महासागरों में पानी तरल रूप में मिल सकता है और टीओआइ-270 तारे के पास स्थित होने के कारण देखने के लिहाज से ये ग्रह चमकीले भी हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि इसका मतलब है कि इसमें कुछ ऐसे भी भाग हैं जो वैज्ञानिकों को इसकी परिक्रमा करने वाले ग्रहों की आसानी से निगरानी करने में मदद कर सकते हैं।
रहने के लिए है अनुकूल
जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियों वाले इस क्षेत्र में हमने कुछ ऐसे ग्रह खोजे हैं और यह दुर्लभ संयोग ही है कि ये ग्रह ऐसे तारे के पास हैं जो शांत है। हमारे सौर मंडल में ऐसा कोई ग्रह मौजूद नहीं है। हमारे सौर मंडल में, पृथ्वी, बुध, शुक्र और मंगल जैसे छोटे, चट्टानी ग्रह हैं, या शनि, बृहस्पति, यूरेनस, और नेप्च्यून जैसे बड़े ग्रह हैं, जिनमें भूमि की तुलना में गैसों की मात्र ज्यादा है। सौर मंडल में नेप्च्यून से छोटे आकार का कोई ग्रह नहीं है, ये अन्य तारों के आसपास छोटे ग्रहों का मिलना आम बात है।
चट्टानी और गैसीय ग्रहों के बीच संबंध का चलेगा पता
अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के पोस्टडॉक्टरल फेलो ने मैक्सिमिलियन गंथर ने कहा कि टीओआइ-270 जल्द ही हमें पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रहों और नेप्च्यून जैसे गैसीय ग्रहों के बीच संबंधों का पता लगाने में मदद कर सकता है क्योंकि यहां इन सभी प्रकारों को एक ही प्रणाली में बनाया गया है।
मापी जाएगी ऑक्सीजन और हाइड्रोजन की मौजूदगी
यह टीओआइ-270 ग्रहों के वायुमंडल की संरचना को ऑक्सीजन, हाइड्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड के लिए मापने में सक्षम होगा। यह निर्धारित करने में मदद मिल सकती है कि क्या किसी अन्य ग्रह में तरल पानी का महासागर हो सकते हैं। यह भी पता लगाया जा सकेगा कि क्या किसी अन्य ग्रह में जीवन के लिए उपयुक्त परिस्थितियां हो सकती हैं। हमारी आकाशगंगा का व्यास दस लाख प्रकाश वर्ष है और नए एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से 73 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इसका का मतलब है कि यह हमारे पड़ोसी तारों में से एक है।