
एक लाख से अधिक लोगों को हराकर अंतरिक्ष में जाने का सपना संजोने वाले साउथ अफ्रीकन मंडला मसेको की एक साधारण सी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। मंडला मसेको ऐसे पहले अश्वेत अफ्रीकी थी जिनको अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला था, इससे पहले किसी भी अफ्रीकन का अंतरिक्ष में जाने के लिए सेलेक्शन नहीं हो पाया था, यदि मसेको अंतरिक्ष में चले जाते तो उनका नाम सबसे पहले अंतरिक्ष में जाने वाले अश्वेत अफ्रीकन के तौर पर दर्ज हो जाता। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था इस वजह से वो ये रिकार्ड तोड़ने में कामयाब नहीं हो पाए और एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। किस्मत का लिखा कोई नहीं टाल सकता, इसी वजह से शायद पहली बार अंतरिक्ष में जाने का सपना संजोने वाले साउथ अफ्रीकन मंडला मसेको के साथ ऐसी घटना हो गई।
मंडला एक अंशकालिक डीजे के तौर पर भी काम करते थे। इसके अलावा वो साउथ अफ्रीकन एयर फोर्स में कैंडीडेट आफिसर भी थे। उनका निक नाम एफ्रोनट रखा गया था। ये नाम उनको उस समय दिया गया था जब उन्होंने अमेरिका स्थित अंतरिक्ष अकादमी की ओर से आयोजित 64 मील की दूरी की एक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। वहां से उतरने के बाद उनको ये नाम दिया गया था। मंडला मसेको के परिवार के सदस्यों की ओर से भी ये जानकारी दी गई कि शनिवार को हुई एक सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है।
30 साल के मंडला मसेको ने 75 देशों के एक लाख अन्य प्रवेशकों को हराया था उसके बाद ही उनको अंतरिक्ष में जाने के लिए मौका दिया गया था। मंडला मसेको के अंतरिक्ष में जाने के लिए सेलेक्शन हो जाने पर परिवार और आसपास के लोग काफी खुश थे, उनके इस सेलेक्शन के लिेए एक खास तरह की पार्टी का भी आयोजन किया गया था। सेलेक्शन हो जाने के बाद उन्होंने एक सप्ताह का समय फ्लोरिडा में कैनेडी स्पेस अकादमी में बिताया था, जहां उन्होंने हवाई युद्ध और जी-फोर्स प्रशिक्षण लिया।
मंडला मसेको का जन्म प्रिटोरिया के पास सोशंगुवे टाउनशिप में एक स्कूल क्लीनर और ऑटो उपकरण निर्माता के घर पर हुआ था, उनकी जीत राष्ट्रीय गौरव का एक स्रोत थी। मसेको अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बज़ एल्ड्रिन के साथ मिले और तस्वीरें खिंचवाई, जो 1969 के अपोलो 11 अंतरिक्ष मिशन के हिस्से के रूप में नील आर्मस्ट्रांग के बाद चंद्रमा पर पैर रखने वाला दूसरा व्यक्ति था। उन्हें मूल रूप से 2015 में उड़ान भरने के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन उनकी मृत्यु के समय उनकी यात्रा की कोई ठोस योजना सार्वजनिक नहीं की गई थी।
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