जी 20 समिट में चीन के राष्ट्रपति पर दबाव बनाने का आग्रह लेकर हांगकांग स्थित 19 वाणिज्य दूतावासों में सैकड़ों प्रदर्शनकारी पहुंचे। ये सभी काले कपड़ों में थे। हांग कांग में जिस कानून का विरोध किया जा रहा है उसके अनुसार, चीन हांग कांग से किसी और देश के नागरिक का प्रत्यर्पण कर सकता है। इस कानून को मानव अधिकारों और लोकतंत्र के लिए खतरा माना जा रहा है।

चीन ने कहा है कि वह जापान में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में हांग कांग के मुद्दे पर चर्चा की इजाजत नहीं देगा जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ मुलाकात में प्रदर्शन पर चर्चा करने का मन बना रखा है। हांग कांग में एक विधेयक को लेकर व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए हैं। इस विधेयक में आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए उन्हें चीन प्रत्यर्पित किए जाने का प्रावधान है। जी-20 समिट 27 से 29 जून तक चलेगा। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका जी-20 के सदस्य हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा, ‘हम देशों से हांग कांग के मामले को उठाने का आग्रह करेंगे ताकि वे G20 के दौरान चीन पर दबाव बनाएं।
चीन के उप विदेश मंत्री झांग जून के एक बयान के बाद हांग कांग में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि जी 20 समिट में चीन मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं देगा क्योंकि यह देश का आंतरिक मामला है जिसमें किसी अन्य देश को दखल देने का अधिकार नहीं। जी-20 वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर आधारित समूह है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इससे यह साबित होता है कि चीन हांग कांग के मुद्दे को दबाना चाहता है और इसलिए हांग कांग की जनता बाहरी देशों से आग्रह कर रही है कि वे चीन पर दबाव बनाएं ताकि चीनी राष्ट्रपति हांग कांग के लिए विचार करें।
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