नोटबंदी के कारण मांग में कमी के चलते मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में दिखेगी सुस्ती

नकदी संकट के बाद मांग में कमी के चलते मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार और धीमी होगी। साथ ही रोजगार पर भी असर पड़ सकता है

09_12_2016-manufacturingनई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। रिजर्व बैंक के चालू वर्ष की विकास दर का अनुमान घटाने संबंधी एलान से साफ हो गया है कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का असर अल्पकालिक ही नहीं, बल्कि मध्यम अवधि तक देखने को मिल सकता है। नकदी संकट के बाद मांग में कमी के चलते मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार और धीमी होगी। इसके साथ-साथ रोजगार में कमी का प्रभाव भी आगामी दो-तीन तिमाहियों में दिख सकता है।

आरबीआइ ने बुधवार को ही चालू वित्त वर्ष 2016-17 के लिए विकास दर के अनुमान को 7.6 से घटाकर 7.1 फीसद कर दिया है। हालांकि नोटबंदी के अलावा इसकी कुछ दूसरी वजहें भी हैं। लेकिन अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि नोटबंदी का असर अब आगे देखने को मिलेगा। अधिकांश रेटिंग और रिसर्च एजेंसियों की राय में दो से तीन तिमाही तक अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी रह सकती है। अभी तक यह अनुमान जीडीपी में आधा फीसद की कमी का था। लेकिन माना जा रहा है कि यह कमी अनुमान से अधिक भी हो सकती है।

मैन्यूफैक्चरिंग को धक्का:

जानकारों की राय में सबसे बड़ा असर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र पर पड़ता दिख रहा है। कई औद्योगिक क्षेत्रों में तो मांग घटने के चलते उत्पादन में पहले ही 30 फीसद तक कम कर दी गई है। चूंकि बाजार में नकदी की कमी के चलते बिक्री काफी घटी है, इसलिए इंवेंट्री बनने से बचने के लिए विभिन्न सेक्टरों ने उत्पादन घटा दिया है। इसका असर मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर होगा, जो सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में अहम हिस्सेदारी रखता है।

कृषि का संकट:

दूसरी दिक्कत जानकार खेती को लेकर जता रहे हैं। अरसे बाद अछे मानसून के चलते कृषि की विकास दर में इजाफा हुआ है। इसके चलते दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर तीन फीसद के ऊपर चली गई है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से मिल रही खबरों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि बीज नहीं मिलने की वजह से रबी की बुवाई में 8-9 नौ फीसद की कमी आई है। किसानों को नकदी की कमी के चलते खाद खरीदने में भी दिक्कतें आ रही हैं। इन सबका असर रबी के उत्पादन पर पड़ेगा। ऐसा होता है, तो कृषि क्षेत्र की विकास दर आने वाली तिमाहियों में प्रभावित होगी। इसका असर जीडीपी पर भी पड़ेगा।

रोजगार पर असर:

नकदी के संकट ने रोजगार के अवसरों को भी काफी हद तक प्रभावित किया है। भले यह अस्थायी हो, लेकिन असर कितने लंबे समय तक दिखेगा, यह महत्वपूर्ण होगा। नकदी संकट के चलते असंगठित क्षेत्र में रोजगार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चूंकि यह अर्थव्यवस्था के चक्र का एक अहम हिस्सा है।

 

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