भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि अगर फरवरी व मार्च में अनायास तापमान बढ़ता है तो देश में गेहूं के उत्पादन में कमी आ सकती है। तापमान सामान्य से ज्यादा रहने पर गेहूं की उत्पादकता प्रभावित होने का अंदेशा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने कहा है कि गेहूं तापमान के प्रति अत्यंत संवेदनशील फसल है। हाल में आइएमडी ने भविष्यवाणी की है कि इस साल सर्दियों में तापमान सामान्य से ज्यादा रह सकता है।
पिछले सप्ताह तक देश में गेहूं की बुवाई 173.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल के मुकाबले करीब नौ फीसद ज्यादा है। पिछले साल समान अवधि में 152.56 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी।
आईसीएआर प्रमुख ने कहा कि हम जल्द से जल्द ऐसी किस्में विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं जो ज्यादा तापमान में भी उगाई जा सकें और जलवायु परिवर्तन को झेल सकें। लेकिन इन किस्मों को बुवाई के लिए प्रस्तुत करने में अभी कुछ वर्ष और लग सकते हैं।
मौजूदा फसल पर उन्होंने कहा कि आइएमडी की भविष्यवाणी के अनुसार अगर तापमान फरवरी व मार्च में ज्यादा होता है तो गेहूं की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। आईसीएआर की स्टडी के अनुसार तापमान एक फीसद ज्यादा होता है तो गेहूं की पैदावार दस फीसद तक घट सकती है। पूरे देश में गेहूं की औसत पैदावार 3-4 टन के आसपास है जबकि पंजाब में पैदावार का औसत 6-7 टन के बीच है।