
पनीरसेल्वम के पिता अन्नाद्रमुक के संस्थापक स्वर्गीय एमजी रामचंद्रन के लिए काम करते थे और एमजीआर तभी से उन पर मेहरबान थे। यहां तक कि पनीरसेल्वम के भाई आज भी पेरियाकुलम में चाय की दुकान चलाते हैं। हालांकि उनका पारिवारिक पेशा खेतीबाड़ी का है।
पनीरसेल्वम के बारे में ये कहा जाता है कि चाय की दुकान से फुरसत निकालकर उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और ये बात एमजीआर को भी पता थी।
पनीरसेल्वम पहली बार शशिकला के रिश्तेदार टीटीके दिनाकरन के जरिए जयललिता की नजर में आए। कहा जाता है कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए पनीरसेल्वम कभी भी उस कुर्सी पर नहीं बैठे जिस पर जयललिता बैठा करती थीं।