अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान की सरजमीं पर मौजूद आतंकी पनाहगाहों को लेकर दबाव बढ़ाया है। अमेरिका ने सख्त होकर कहा है कि पाकिस्तान अपने यहां मौजूद आतंकवादी समूहों के खिलाफ ‘स्थायी और लगातार’ कार्रवाई करे। विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी हमले और बालाकोट में जैश के आतंकवादी शिविर पर भारत के हवाई हमले के बाद से पाकिस्तान पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए वैश्विक दबाव बढ़ा है।
पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने घोषणा की कि पाकिस्तान में प्रतिबंधित समूहों के अब तक 121 सदस्यों को ‘एहतियातन नजरबंद’ किया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप-प्रवक्ता रॉबर्ट पेलाडिनो ने कहा, ‘मैं कहना चाहता हूं हमने पाकिस्तान से आग्रह किया है कि वह आतंकी समूहों के खिलाफ लगातार और स्थायी कदम उठाए जिससे भविष्य में हमले रुकेंगे और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।’ उन्होंने कहा, ‘हम फिर से अपील करते हैं कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करे और आतंकी की पनाहगाह नष्ट कर उनकी फंडिंग पर रोक लगाए।’
रॉबर्ट ने जैश के मुखिया आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित के सवाल पर सीधा जवाब न देते हुए कहा, ‘अमेरिका और सुरक्षा परिषद में उसके सहयोगी आतंकी संगठनों और उसके सरगनाओं की संयुक्त राष्ट्र की सूची को अपडेट करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के विचार विमर्श से जुड़े सवाल गोपनीयता के दायरे में आते हैं इसलिए इन पर सीधी टिप्पणी नहीं की जा सकती है।
आतंकी हमलों का जिम्मेदार है मसूद
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप-प्रवक्ता रॉबर्ट पेलाडिनो ने कहा, ‘जैश और उसके सरगना मसूद अजहर को लेकर हमारा रुख सभी को पता हैं। जैश एक संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी समूह है जो कई आतंकवादी हमलों का जिम्मेदार है और वह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है। मसूद अजहर जेईएम का संस्थापक और नेता है।’ हालांकि गोपनीयता का हवाला देते हुए पेलाडिनो ने इस मुद्दे पर अधिक नहीं कहा लेकिन यह भी सच है कि हाल ही में फ्रांस और ब्रिटेन के साथ अमेरिका ने भी मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के प्रस्ताव को यूएनएससी में पेश किया है।