पिछले 5 सालों में भाजपा सरकार द्वारा बम्पर भर्तियां तो निकाली गई है लेकिन ये भर्तियां कहीं ना कहीं प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी का शिकार बनती हुई नजर आईं. बीते 5 सालों में निकाली गई भर्तियों में से करीब 1 लाख ऐसी भर्तियां हैं जो आज भी पूरी होने का इंतजार कर रही है और इन भर्तियों को पूरा करने के लिए पूरे 5 सालों तक मंत्रियों और अधिकारियों के ही चक्कर काटते नजर आए.
कुछ धरने और प्रदर्शन के लिए मजबूर हुए तो कुछ अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते हुए नजर आए लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला. अब नई सरकार बन चुकी है और बेरोजगारों को उम्मीद है की भाजपा सरकार में अटकी भर्तियों को कांग्रेस सरकार जल्द से जल्द पूरा करेगी. इन बेरोजगारों ने नई सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के चक्कर काटना शुरू कर दिया है.
साल 2013 से लेकर अब तक करीब 60 ऐसी भर्तियां है जिनमें कहीं ना कहीं रूकावट से बेरोजगारों को समस्या झेलनी पड़ रही हैं. प्रदेश के दूर-दराज इलाकों से राजधानी में किराए पर रहकर अपनी पढाई करने वाले युवाओं को इम्तिहान में सफल होने के बाद भी दर-दर की ठोकरे खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है. अटकी हुई भर्तियों में कोर्ट के पेंच फंसने की समस्याएं तो है ही. साथ ही प्रशासनिक लापरवाही और ढुलमुल सरकारी रवैये से बेरोजगारों को की उम्मीदों को झटका लगा है.
ये तो वो बड़ी भर्तियां हैं जिनमें करीब 1 लाख से ज्यादा भर्तियों को पूरा होने का इंतजार है. इसके साथ ही आईटीआई और बीटेक डिग्रीधारी बेरोजगारों के लिए पिछले 5 सालों में ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही भर्तियां निकाली गई है. विशेषज्ञों की माने तो भर्तियों में सबसे बड़ा लैप्स माना जाता है. प्रशासन की लापरवाही या फिर भर्तियों में कोई ना कोई ऐसी कमी छोड़ देना जिसके चलते ये भर्तियां अदालती चक्कर में अटक जाती हैं. साथ ही भर्तियों को कोर्ट से निकालने के लिए सरकार की ओर से मजबूत पैरवी नहीं करना भी एक बड़ा कारण बेरोजगार इसमें देखते हैं.
बहरहाल, सरकारी नौकरी की चाह रखने वाले इन बेरोजगारों को 5 सालों से एक ही इंतजार है और वो है नियुक्ति मिलने का लेकिन इंतजार है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. सरकारी नौकरी के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाएं तो पहले ही मुश्किल थी लेकिन अब भर्ती अन्य समस्याएं भी बड़ी चुनौती बनती जा रही है.