इंटरनेशनल कोर्ट से भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस न देकर विएना कॉन्वेंशन का उल्लंघन किया है. जबकि पाकिस्तान शुरू से कहता आया है कि जाधव को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, लिहाजा कॉन्सुलर एक्सेस का अधिकार नहीं दिया जा सकता. पाकिस्तान का एक तर्क यह भी है कि उसका भारत के साथ एक करार है जिसमें जासूसी के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को कॉन्सुलर एक्सेस देने का प्रावधान नहीं है.
कुलभूषण जाधव केस में हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में सोमवार को सुनवाई शुरू होगी. 18 फरवरी से शुरू होने वाली सुनवाई 21 फरवरी तक चलेगी. सोमवार को पहले दौर की जिरह स्थानीय समय ढाई बजे से शुरू होकर शाम साढ़े पांच बजे तक चलेगी जिसमें भारत अपना पक्ष रखेगा. जिरह का दूसरा दौर 19 फरवरी दिन मंगलवार को दोपहर ढाई बजे से साढ़े पांच बजे तक चलेगा जिसमें पाकिस्तान अपनी बात रखेगा.
इसी मामले में दूसरे दौर की जिरह 20 फरवरी को शाम साढ़े सात बजे से नौ बजे रात तक चलेगी जिसमें भारत अपना पक्ष रखेगा. अगले दिन 21 फरवरी को रात नौ बजे से 10.30 बजे तक पाकिस्तान अपनी बात रखेगा. 20 फरवरी को भारत अपना जवाबी तर्क पेश करेगा, वही पाकिस्तान 21 फरवरी को अपना अंतिम पक्ष कोर्ट में दर्ज कराएगा. भारत की तरफ से हरीश साल्वे हेग कोर्ट में वकालत करेंगे तो पाकिस्तान की ओर से ख्वार कुरैशी को पेश होना है. पाकिस्तान ने इस मामले के लिए अपना एक विशेष दल भेजा है जिसकी अगुआई वहां के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान कर रहे हैं.
आईसीजे में अगले चार दिन चलने वाली सुनवाई में दो मुद्दों पर बहस होगी. पहला, विएना संधि का उल्लंघन और दूसरा, सजा देने के मामले में पाकिस्तान का अधिकार क्षेत्र क्या है. कोर्ट दोनों देशों का पक्ष सुनने के बाद अपना अंतिम फैसला सुनाएगा. कोर्ट में कुलभूषण जाधव का मामला 2016 से अटका हुआ है. पाकिस्तान का दावा है कि उसने जाधव को जासूसी के आरोप में 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया.
जाधव पर ये आरोप भी लगे हैं कि उन्होंने ईरान के रास्ते अवैध तरीके से पाकिस्तान में प्रवेश किया. पिछले साल 25 मार्च को पाकिस्तान ने जाधव का एक कथित गोपनीय बयान जारी किया जिसमें जाधव यह कहते सुने गए कि वे इंडियन नेवी के कार्यरत अधिकारी हैं और उस वक्त वे भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनलिसिस विंग (रॉ) के लिए काम कर रहे थे.
पाकिस्तान की ओर से जारी जाधव के कथित गोपनीय बयान में यह भी सुना गया कि वे पाकिस्तानी अवाम और वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ जासूसी कर रहे थे. पाकिस्तान ने उनपर आतंकवाद फैलाने, चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर और ग्वादर पोर्ट के खिलाफ साजिश रचने का भी आरोप लगाया है. इन्हीं बयानों के आधार पर पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 10 अप्रैल 2017 को जाधव को मौत की सजा सुनाई.
भारत इस सजा के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस गया है, जहां इस मामले की सुनवाई चल रही है. भारत ने जाधव के खिलाफ मौत की सजा को खत्म करने की गुहार लगाई है. पिछली सुनवाई में आईसीजे ने पाकिस्तान को जाधव के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई करने से रोक दिया. कोर्ट का कहना है कि इस मामले में जबतक अंतिम फैसला नहीं आ जाता, पाकिस्तान जाधव के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगा.