जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकवादी घोषित पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद की ओर से जिम्मेदारी लेने के बाद अमेरिकी विशेषज्ञ ने शक जताया कि इस हमले के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ हो सकता है. इस आतंकी हमले में अब तक 37 जवान शहीद हो चुके हैं और कई घायल हैं.
दक्षिण एशिया मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा कि यह हमला बताता है कि अमेरिका जैश-ए-मोहम्मद (जेएएम) और कई अन्य आतंकी संगठनों पर कार्रवाई के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने में नाकाम रहा है. सीआईए के पूर्व विश्लेषक ब्रूस रेडिल ने कहा कि हमले के बाद जेएएम का खुद इसकी जिम्मेदारी लेना इस बात पर गंभीर सवाल खड़े करता है कि इस ऑपरेशन के पीछे आईएसआई की भूमिका हो सकती है.
वर्तमान में ब्रूकिंग इंस्टीट्यूट थिंक टैंक में बतौर विशेषज्ञ कार्यरत रिडेल कहते हैं कि एक हमला जिसके निशान पाकिस्तान में मिलते हैं, यह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमराख खान के कार्यकाल के पहली बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि इमरान खान के लिए यह बड़ी चुनौती है और उनके प्रशासन के सामने पहली गंभीर चुनौती है.
वीभत्स हमला
इस बीच, अमेरिका में बराक ओबामा प्रशासन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) के अधिकारी रहे अनीष गोयल ने कहा कि इस भयावह हमले में से पता चलता है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह किस तरह अब भी कश्मीर में सक्रिय हैं. हमले के तुरंत बाद इसकी जिम्मेदारी लेने का दावा करके जैश-ए-मोहम्मद (जेएएम) स्पष्ट रूप से संकेत दे रहा है कि वह इस क्षेत्र में परेशानी पैदा करता रहेगा और पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बढ़ाता रहेगा. उन्होंने कहा, कि इस हमले के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कश्मीर में सक्रिय सभी आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ने की संभावना है.
इसी काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की अलेसा एरेस ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन यह हमला दिखाता है कि अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय नीतियों के पास आतंकियों के खिलाफ एक्शन के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए सीमित विकल्प हैं. बड़ा सवाल यह है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी इस संबंध में क्या कर सकती है.
यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के मोइद युसूफ के अनुसार, भारत-पाकिस्तान के बीच वर्तमान स्थिति संकटकारी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इसे आसानी से नहीं छोड़ सकते, लेकिन इस बार पाकिस्तान भारत के किसी भी एक्शन पर चुप नहीं बैठ सकता. इस तरह से दोनों देशों के बीच तनाव ज्यादा बढ़ गया है.
इससे पहले अमेरिका ने पुलवामा जिले में आतंकवादी हमले की शुक्रवार को निंदा करते हुए सभी देशों से आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह और समर्थन नहीं देने की अपील की. यह हमला पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने किया है. गुरुवार दोपहर बाद हुए इस आतंकी हमले में केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 37 जवान शहीद हो गए जबकि कई अन्य घायल हुए हैं.
आतंकी समूहों को समर्थन बंद करे पाकः अमेरिका
जैश के एक आत्मघाती हमलावर ने पुलवामा जिले में सीआरपीएफ की एक बस में विस्फोटक लदे वाहन से टक्कर मार दिया जिससे हुए धमाके में सैनिक शहीद हो गए. हमले की निंदा करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि वह किसी भी रूप में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार के साथ काम करने को प्रतिबद्ध है.
हमले में मारे गए जवानों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पैलाडिनो ने कहा कि कश्मीर में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले की अमेरिका कड़े शब्दों में निंदा करता है. संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकवादी घोषित पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने इस कृत्य की जिम्मेदारी ली है. हम सभी देशों से आह्वान करते हैं कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन करें ताकि आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह और समर्थन देने से बचा जा सके.
पुलवामा हमले की कड़ी निंदा करते हुए व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने बयान जारी कहा कि अमेरिका पाकिस्तान से अपील करता है कि वह अपनी जमीन से आतंकी गतिविधियां चलाने वाले ऐसे सभी आतंकी समूहों को समर्थन और सुरक्षित पनाह तुरंत बंद करे जिनका एकमात्र लक्ष्य क्षेत्र में अव्यवस्था, हिंसा और आतंक फैलाना है. उन्होंने आगे कहा कि यह हमला आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका और भारत के सहयोग और साझेदारी को और बढ़ाने के हमारे संकल्प को और मजबूत बनाता है.