राफेल सौदे का मुद्दा शुक्रवार को लोकसभा में छाया रहा जहां एकजुट विपक्ष ने एक अखबार की खबर का हवाला देते हुए मामले की संयुक्त संसदीय समित (जेपीसी) से जांच कराने तथा प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की। वहीं सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है और उसका प्रयास गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा है।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ”विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है। उनकी (विपक्ष) वायु सेना को मजबूत बनाने में कोई रूचि नहीं है। अखबार की खबर के जरिये लगाये जा रहे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा कि पीएमओ की ओर से विषयों के बारे में समय-समय पर जानकारी लेना हस्तक्षेप नहीं कहा जा सकता है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार के दौरान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) बनाई गयी थी जिसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं, उसका पीएमओ में कितना हस्तक्षेप था ?
उन्होंने कहा कि तब एनएसी एक तरह से पीएमओ चला रही थी।
मीडिया की रिपोर्ट के संदर्भ में रक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें आचार (एथिक्स) का पालन करना चाहिए था और अगर अखबार चाहता था कि सचाई सामने आए तो उसे तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का बयान भी शामिल करना चाहिए था। पर्रिकर ने कहा था कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है और चीजें अच्छे तरीके से आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वह 4 जनवरी को इस मुद्दे पर बयान दे चुकी हैं।
इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया में आई रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया था कि यह छोटी बात नहीं है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि कांग्रेस लड़ाकू विमान खरीदने को रोक रही है। जबकि हकीकत इसके उलट है।
खड़गे ने कहा कि कांग्रेस नीत सरकार के समय 126 लड़ाकू विमान खरीदने की सहमति बनी थी लेकिन 36 विमान खरीदे जा रहे हैं। एक तरफ रक्षा मंत्रालय है और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री कार्यालय है, और कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच करायी जाए तब सचाई सामने आ जायेगी।
राफेल विमान सौदे के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों की नारेबाजी के कारण शुक्रवार को लोकसभा की बैठक शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। इस दौरान कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल राफेल मुद्दे पर मीडिया रिपोर्ट की कतरन हाथों में लेकर आसन के समीप नारेबाजी कर रहे थे और ”चौकीदार चोर हैं और ”प्रधानमंत्री इस्तीफा दो के नारे लगा रहे थे।
संसदीय कार्य मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष की तरफ से चर्चा की मांग की गई थी, चर्चा हुई और रक्षा मंत्री ने बिन्दुवार जवाब भी दिया । उच्चतम न्यायालय का फैसला आ चुका है और दूध का दूध, पानी का पानी हो चुका है। अखबार में कुछ छप जाये तब उसे लेकर बजट बाधित करना ठीक नहीं है।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि अखबार की खबर में यह बात सामने आई है कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में समानांतर वार्ता कर रहा था। इस बारे में रक्षा मंत्रालय की ओर से इस समानांतर वार्ता पर आपत्ति व्यक्त की गई थी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय क्यों इस मामले में हस्तक्षेप कर रहा था ? प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि इन्होंने देश की प्रतिरक्षा की रीढ़ को कमजोर किया है।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है और केवल किसी अखबार में कुछ छप जाये तब उसे लेकर बार बार उसे उठाया जा रहा है।