मध्य प्रदेश की मुख्य नदी नर्मदा के प्रति अपने अथाह प्रेम को अभिव्यक्त करने क्षिप्रा अकेले ही चल पड़ी है नर्मदा की परिक्रमा पर। 3000 किमी का सफर पग-पग पूरा चुकी है। कल-कल बहती नर्मदा के साथ पल-पल सत्संग करती, पग-पग रमती पग-पग बढ़ती क्षिप्रा की यह आध्यात्मिक यात्रा कई स्थानों से गुजर चुकी है।
मुंबई की रहने वाली यह युवती परिवार वालों को बिना बताए अकेले ही नर्मदा परिक्रमा पर निकली है। परिवार वाले उसे इस तरह अकेले बिलकुल नहीं जाने देते, इसलिए क्षिप्रा ने घरवालों को इस बारे में बाद में बताया। वे क्षिप्रा को लेने भी आए, लेकिन क्षिप्रा नहीं मानी। वो नदी किनारे स्थित गांवों में ही रात्रि को विश्राम करती, ग्रामीण परिवारों से भोजन और दुलार पाती। अब 500 किमी यात्रा ही बची है, क्षिप्रा की नर्मदा परिक्रमा को पूरी होने में। माँ नर्मदा और क्षिप्रा मध्य भारत की दो मुख्य नदियां हैं। जैसे मानो सगी बहनें। मप्र सरकार की महत्वाकांक्षी नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना के अंतर्गत अब तो नर्मदा की धारा भी क्षिप्रा से मिल गई है।
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दिलचस्प यह कि नर्मदा से प्रेम करने वाली मुंबई की इस युवती का नाम भी क्षिप्रा ही है, क्षिप्रा पाठक। वो अपने स्लीपिंग बैग में केवल दो जोड़ी कपड़े और कुछ जरूरी सामान लेकर मुंबई से ट्रेन पकड़कर ओंकारेश्वर आ पहुंची, जहां से नर्मदा परिक्रमा आरम्भ होती है। क्षिप्रा की नर्मदा परिक्रमा के पीछे आध्यात्मिक प्रेरणा अपना काम कर रही थी। उसने इंटरनेट पर नर्मदा परिक्रमा के बारे में काफी जानकारी हासिल की थी। तभी से उसके मन में इच्छा होती थी कि उसे भी पैदल ही नर्मदा परिक्रमा करना है। अब क्षिप्रा की ये इच्छा जल्द ही पूर्ण होने वाली है, ननर्मादा परिक्रमा के साथ।