तीन तलाक और नागरिकता संशोधन विधेयक, विपक्ष के साथ इन बिलों पर बनी सहमति…

राज्यसभा में ट्रिपल तलाक, नागरिकता संशोधन बिल विपक्ष के विरोध के चलते लंबित है तो बीजेपी नेतृत्व ने भी संसद के आखिरी सत्र में इन बिलों को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है, जो 13 फरवरी को खत्म हो रहा है। गैर-राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (यूपीए) इसे अपनी जीत मान रहा है क्योंकि उसने सरकार को अपनी किस्मत आजमाने का मौका नहीं दिया है। वहीं एनडीए का रणनीति है कि वह चुनावों से पहले विभाजनकारी और विवादास्पद बिलों से बचे और अन्य बिलों को पास कराए।

संसद के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में सत्तापक्ष और विभिन्न विपक्षी दलों के बीच बजट सत्र के दौरान पेश होने वाले प्रमुख विधेयकों को चर्चा कर पारित कराने को लेकर सहमति बन गई है। सभापति एम वेंकैया नायडू के हस्तक्षेप के बाद यह सहमति बनी है। वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के चलते राज्यसभा में लंबित विवादास्पद ट्रिपल तलाक , नागरिकता संशोधन बिलों के साथ-साथ लंबे समय से लंबित भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर चुपी साध ली है।

राज्यसभा में सत्तापक्ष और विभिन्न विपक्षी दलों के बीच बजट सत्र के दौरान पेश होने वाले प्रमुख विधेयकों को चर्चा कर पारित कराने को लेकर सहमति बन गई है। सभापति एम वेंकैया नायडू के हस्तक्षेप के बाद यह सहमति बनी है। इस सहमति के बाद लंबित छह विधेयकों और एक अध्यादेश को उच्च सदन से पारित कराने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार नायडू ने उच्च सदन में लंबित विधेयकों को पारित कराने के उपाय तलाशने के लिए सभी दलों के नेताओं के साथ शुक्रवार को बैठक की।

ये हुए शामिल
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, भाजपा के भूपेंद्र यादव, कांग्रेस के आनंद शर्मा, सपा के रामगोपाल यादव, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, द्रमुक की कनिमोई, माकपा के टीके रंगराजन, भाकपा के डी राजा, टीडीपी के सीएम रमेश और राजद के मनोज झा ने बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान पिछले सत्र से लंबित अहम विधेयकों पर चर्चा कराकर इन्हें पारित कराने पर सहमति व्यक्त की।

नायडू का अनुरोध
सूत्रों के अनुसार बैठक में नायडू ने कहा कि बजट सत्र 16वीं लोकसभा के कार्यकाल का अंतिम सत्र है। उन्होंने आम चुनाव से पहले हो रहे इस सत्र में सदन की कार्यवाही को सुचारु बनाने का सभी दलों के नेताओं से अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस सत्र में बजट और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के अलावा अन्य विधायी कार्य को भी पूरा करना आवश्यक है।

इन विधेयकों पर सहमति
बैठक में जिन छह लंबित विधयेकों को बजट सत्र में पेश किए जाने पर सहमति बनी उनमें कंपनी (संशोधन) विधेयक 2019, मानव तस्करी (निषेध, संरक्षण एवं पुनर्वास) विधेयक 2018, मध्यस्थता संशोधन विधेयक 2018, नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र विधेयक 2019, वैयक्तिक कानून (संशोधन) विधेयक 2019 और आधार एवं अन्य अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2019 शामिल है।

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लंबित विधेयकों पर विमर्श
सूत्रों के अनुसार इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और अन्य दलों के नेताओं के साथ बैठक की। इसमें लंबित विधेयकों को पेश करने पर विमर्श किया।

बजट सत्र
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर उच्च सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पर चार से छह फरवरी को, बजट पर सात और 11 फरवरी को चर्चा होने की उम्मीद है। वहीं, अन्य लंबित विधेयकों को 12 और 13 फरवरी को चर्चा के लिए पेश किया जा सकता है। आठ फरवरी को निजी विधेयक पेश किए जाएंगे।

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