ज्योतिष में नवग्रहों को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इन ग्रहों में शुक्र ग्रह को भी विशेष स्थान दिया गया है। शुक्र को काम – वासना का कारक ग्रह और प्रेम का कारक ग्रह भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं में इन्हें दैत्य गुरू माना गया है तो दूसरी ओर शुक्र को वीनस कहा गया है। वीनस अर्थात् प्रेम की देवी। जिसे ग्रीक मान्यताओं में प्रेम की देवी कहा जाता है। अर्थात् इस ग्रह के प्रभावों से मानव और प्राणि प्रेम करने के लिए प्रेरित होता है। इसे प्रसन्न कर जातक प्रेम विवाह में आने वाली बाधा का दूर कर सकते हैं।
जी हां, प्रेम के लिए कारक देवी देवता भी धार्मिक मान्यताओं में तय किए गए हैं। इन देवी -देवताओं की उपासना कर भी हम उनका पूजन कर सकते हैं। माना जाता है कि शुक्र देव प्रेम और मधुरता के देवता हैं, यही नहीं प्रेमी जोड़ों की विवाह की संभावनाऐं बहुत अधिक रहती है, तावे दूसरी ओर प्रेम – संबंधों का लेखा – जोखा शुक्र ग्रह पर ही निर्भर रहता है। शिव पुराण में कुछ ऐसे उपाय बताए जा रहे हैं जिन्हें पूरा करने से सफलता मिल सकती है।
शुक्र को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की पूजा की जा सकती हैं, ब्राह्णों और जरूरतमंदों को शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान कर मनोकामना पूर्ण की जा सकती है तो दूसरी ओर शुक्रवार के दिन पत्नी को साडि़यां या अन्य वस्त्र उपहार में दी जा सकती हैं। मिली जानकारी के अनुसार प्रेम संबंधों को राशियों के अनुसार प्रेम संबंधों से जातक की पहचान सरल नहीं की जा सकती। रिश्तों के बनने और बिगड़ने में शुक्र का योगदान महत्वपूर्ण होता है।