पिछले तीन दिनों के इंतजार के बाद आखिरकार राजस्थान को उसका मुख्यमंत्री मिल गया है। अशोक गहलोत के हाथों में राजस्थान की कमान सौपी गई है। वहीं सचिन पायलट को डिप्टी सीएम का पद ऑफर किया गया है। हालाकि अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन सूत्रों की माने तो आज शाम साढ़े 4 बजे इसका ऐलान होने वाला है। गहलोत ने रेस में चल रहे सचिन पायलट को पछाड़कर सीएम पद पर कब्जा जमाया है। गौरतलब है कि राजस्थान विधानसभा चुनावों में जीत का परचम लहराने के बावजूद कांग्रेस मुश्किल में फंसी हुई थी। पिछले कई दिनों से चल रही माथापच्ची और दर्जनों बैठकों के बाद भी राजस्थान के मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो सका था। सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों ही सीएम पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे थे। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान बृहस्पतिवार को भी देर रात बाद भी कोई फैसला नहीं ले पाया। हालांकि आज शुक्रवार को शाम साढ़े 4 बजे मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि बुधवार को हुई विधायक दल की बैठक में प्रस्ताप पारित किया गया था कि मुख्यमंत्री के नाम का फैसला राहुल गांधी करेंगे। वहीं इस बैठक के बाद एक-एक विधायक से गहलोत और सचिन के बारे में फीडबैक भी लिया गया था, जिसकी रिपोर्ट राज्य के पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल ने राहुल गांधी को सौंप दी।
बुधवार को राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख नेता अशोक गहलोत, सचिन पायलट, केसी वेणुगोपाल और अविनाश पांडे ने राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया, हालांकि मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो सका। इसके लिए बुधवार सुबह 11 बजे से कांग्रेस विधायकों की बैठक हुई। बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि सीएम के नाम का फैसला राहुल गांधी करेंगे। विधायक दल की दूसरी बैठक शाम को हुई लेकिन इसमें भी सर्वसम्मति नहीं बन पाई।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘शक्ति’ ऐप के जरिए भी विधायकों से फीडबैक लिया। विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद सत्ता में लौट रही कांग्रेस में जबर्दस्त उत्साह की लहर है। कांग्रेस की जीत के बाद आगे रणनीति तय करने के लिए जयपुर आए पार्टी के पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल ने चुनाव परिणामों के बाद कहा था कि तीन मुख्य राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस की सीधी लड़ाई थी। देश का मूड बदल गया है। अब यह कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के पक्ष में आ गया है।
आइये नजर डालते हैं दोनों नेताओं की खूबियों और खामियों पर…
अशोक गहलोत
ताकत
– सियासत का लंबा अनुभव- अशोक गहलोत दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। छोटी उम्र में प्रदेश अध्यक्ष बन गए थे।
– राहुल के करीबी- कांग्रेस के केंद्रीय संगठन में संगठन महासचिव के पद पर काबिज। यह शक्तिशाली पद है और राहुल के सबसे नजदीकी नेताओं में गिने जाते हैं।
– राजस्थान के सभी जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पैठ।
– प्रदेश की सभी जातियों को साधकर रखने में माहिर है। बुजुर्ग नेताओं के बीच गहरी पैठ।
– बतौर सीएम अपनी कई योजनाओं की वजह से जनता के बीच अच्छी छवि।
कमजोरी
– गहलोत विधानसभा चुनाव हारने के बाद से राजस्थान से ज्यादा दिल्ली की सियासत में सक्रिय हैं।
– राजस्थान में वसुंधरा राजे के खिलाफ संघर्ष से दूर रहे।
– प्रदेश में उन पर गुटबाजी का आरोप लगता रहा है। सचिन पायलट को भी खुलकर काम करने का मौका नहीं देने का आरोप।
– गहलोत का उम्रदराज होना सीएम बनने की राह में एक रोड़ा हो सकता है। वे 77 साल के हैं।
– गहलोत सैनी समाज से आते हैं, इस समाज की आबादी राजस्थान में महज 3 फीसदी है।
सचिन पायलट
ताकत
– सचिन पायलट पार्टी के युवा चेहरे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का करीबी होना उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
– कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से पायलट ने लगातार वसुंधरा राजे के खिलाफ संघर्ष करके सत्ता विरोधी माहौल बनाया। पार्टी को 21 से 99 सीटों तक पहुंचाने में अहम भूमिका रही।
– दिलाई कामयाबी- पायलट के नेतृत्व में पांच साल में जितने भी चुनाव और उपचुनाव हुए सभी कांग्रेस ने जीते। इनमें चार विधानसभा और दो लोकसभा सीटें शामिल हैं।
– किसी भी तरह के विवाद और विवादित बयानों से दूर।
– सौम्य, सभ्य, गंभीर और सकारात्मक राजनीति करने वाले नेता बनकर उभरे हैं।
कमजोरी
– सचिन पायलट के सीएम बनने में सबसे बड़ी कमजोरी, उनकी जाति आड़े आ रही है। वो गुर्जर समुदाय से आते हैं और प्रदेश में बहुत बड़ा वोटबैंक नहीं है।
– सीएम जैसा पद संभालने का अनुभव नहीं है।
– बुजुर्ग नेताओं के बीच पैठ नहीं। ऐसे बुजुर्ग नेताओं की बड़ी संख्या है, जो उनके सीएम बनने के पक्ष में नहीं है।
– प्रदेश के सभी इलाकों और सभी जाति समूहों में पैठ नहीं।
– बाहरी होना- पायलट मूलरूप से यूपी के रहने वाले हैं। ऐसे में राजस्थान से बाहर के होने के चलते यह भी एक कमजोरी है।