अमावस्या होने के कारण इस दिन स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्य सम्पन किए जाते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों के कार्य विशेष रूप से किए जाते हैं तथा यह दिन पूर्वजों के पूजन का दिन माना गया है। मार्गशीर्ष अमावस्या को ‘अगहन अमावस्या’ के नाम से भी जाना जाता है। यह अमावस्या मार्गशीर्ष माह में पड़ती है। इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है। जिस प्रकार कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी का पूजन कर ‘दीपावली’ बनाई जाती है, उसी प्रकार इस दिन भी देवी लक्ष्मी का पूजन करना शुभ होता है। मार्गशीर्ष अमावस इस साल 7 दिसंबर को है।
व्रत विधि और इसका महत्व
धार्मिक कार्यों का अक्षय फल
ऐसी मान्यता है कि सत युग में देवों ने मार्ग-शीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारम्भ किया था। मार्गशीर्ष अमावस के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है।
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल देने वाली बताई गई है, पर पितरों की शान्ति के लिए अमावस्या व्रत पूजन का विशेष महत्व है।
विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृगण ही तृप्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं।
जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिए कुछ करना चाहते है उन्हें इस माह की अमावस्या को उपवास रख, पूजन कार्य करना चाहिए।
जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान हीन योग बन रहा हो, उन व्यक्तियों को यह उपवास अवश्य रखना चाहिए।
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कृष्ण भगवान ने इसी महीने में दिया था गीता का संदेश
मार्गशीर्ष महीने के बारे में स्वयं भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं जिस कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
भगवान श्री कृष्ण ने इसी अगहन माह में गीता का दिव्य ज्ञान रूपी संदेश दिया था, इस कारण भी इस माह की अमावस्या तिथि को अत्यधिक लाभकारी और पुण्य फलदायी मानी जाती है।
व्रत का महत्व
जिस प्रकार पितृपक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार कहा जाता हैं कि मार्गशीर्ष माह की अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त व्रत रखने और जल से तर्पण करके सारे पितरों को प्रसन्न किया जा सकता हैं।
इस दिन व्रत करने से कुंडली के पितृ दोष समाप्त हो जाते है, निसंतानों को संतान प्राप्ति के योग बन जाते हैं, अगर किसी के भाग्य स्थान में राहू नीच का होकर परेशान कर रहा हो तो वह भी दूर हो जाती है ।
अगहन माह की अमावस्या के व्रत से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, रूद्र, अश्विनीकुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षियों सहित सब भूत-प्राणी भी तृप्त होते हैं ।
पूजा विधि
कहा जाता हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय यमुना नदी में स्नान करने से महा पुण्यफल की प्राप्ति होने के साथ जीवन से दुख भी दूर हो जाते हैं।
अगर कोई इस अमावस्या के दिन व्रत उपवास रखने के साथ भगवान श्री सत्यनारायाण भगवान की कथा का पाठ भी करना चाहिये ।
जो भी इस दिन विधि विधान से यह पूजा करते हुए व्रत रखता हैं, दान-दक्षिणा देता हैं उसके सारे पाप कर्म भी नष्ट हो जाते हैं, और वह भगवान की कृपा का अधिकारी बन जाता हैं ।
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि – 7 दिसंबर 2018
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि का आरंभ- 6 दिसंबर को 12 बजकर 12 मिनट से होगा ।
मार्गशीर्ष अमावस्या समाप्त का समापन- 7 दिसंबर को 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगी ।