”तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हताश है।
तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है।”
फिल्म को देखने के बाद सिनेमाहॉल में लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट सुनकर कैसा महसूस हो रहा है?
अमिताभ बच्चन ने मुस्कुराते हुए कहा- बेहद खुशी हो रही है. मानो की आपकी मेहनत रंग लाई है और सबसे बड़ी बात है, जिस मैसेज को सोचकर आप फिल्म बनाते हैं उसमें काम करते हैं वो संदेश लोगों तक सफलता पूर्वक पहुंच जाए इससे ज्यादा खुशी की बात क्या होगी. इस फिल्म को लोगों नें खासतौर पर लड़कियों और महिलाओं ने पसंद किया ये खुशी की बात है. मैं यहां दिल्ली में हूं और यहां की लड़कियों के बीच फिल्म की इतनी सराहना पाकर खुश हूं.
देखिए फिल्म का ट्रेलर
फिल्म पिंक के टाइटल के बारे में कुछ बताइए, पिंक से लोगों तक क्या मैसेज पहुंचाना चाहते हैं?
फिल्म का टाइटल पिंक इसलिए रखा है क्योंकि, पूरी फिल्म सिर्फ महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है. कहा जाता है कि पिंक कलर लड़कियों को पसंद है.
फिल्म के इस बेहतरीन गाने को भी देखिए
फिल्म में कोई ऐसा सीन जिसने आपको रूला दिया हो?
फिल्म कई भावनात्मक दौर से गुजरी है. सच कहूं तो मैंने फिल्म में कहीं भी ग्लिसरीन का यूज नहीं किया है. फिल्म में मैं कटघरे में खड़ी तापसी पन्नू से जब भी interrogation (पूछताछ करना) करता था और उससे अजीबो गरीब सवाल पूछता था तो मेरी आंखों में आंसू आ जाते थे. सोचता था वाकई कितना मुश्किल होता होगा एक लड़की के लिए जब उसे सरेआम अपनी इज्जत और चरित्र के बारे में बात करना पड़ता होगा. मैं रो पड़ता था….
फिल्म में आप वकील की रोल में हैं, क्या आपको कानूनी भाषा और धाराएं याद करने में किसी दिक्कत का सामना करना पड़ा.
देखिए फिल्म का ये मस्ती भरा गाना…जीने दे तू मुझे जीने दे
ज्यादा नहीं, हमारे पास कानूनी एक्सपर्ट थे, हां मजा बहुत आया. जानकारी भी मिली…कि यौन शोषण जैसे अपराध में कानून में कौन सी धाराएं लगती हैं. मुझे यह भी पता चला कि अब कानून में संशोधन केे बाद किसी भी महिला को यौन शोषण की रिपोर्ट लिखवाने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा. पुलिस को उसी वक्त एफआईआर दर्ज करनी होगी.
आपने फिल्म रिलीज के कुछ दिन पहले अपनी नातिन और पोती आराध्या को ओपन लेटर लिखा था, जिसमें आपने उन्हें अपने फैसले खुद लेने… मजबूत इरादे रखने और किसी से भी नहीं डरने की सलाह दी थी. फिल्म प्रमोशन का ये डिफरेंट स्टाइल कैसे दिमाग में आया.
हुआ ये, कि हम चाहते थे कि फिल्म की कहानी ज्यादा खुले भी नहीं और जो मैसेज हम देना चाहते हैं वो लोगों तक भी पहुंच जाए. तो मुझे शूजित सरकार ने ये आइडिया दिया कि क्यों ना आप ही अपनी ग्रेंड डाउटर्स को एक ओपन लेटर लिख दें. बस फिर हमने ऐसा ही किया.
आपको नहीं लगता कि ऐसा ही एक लेटर आपको लड़कों के लिए भी लिखना चाहिए था?
आप बिल्कुल सही कह रही हैंं. हमें ऐसा करना चाहिए था, क्योंकि सारे सवाल हमेशा लड़कियों से किए जाते हैं. लड़कों से कोई कुछ नहीं पूछता. मैं सभी मां-बाप से भी अपील करता हूं कि वे लड़कों की ऐसी परवरिश करें कि बाद में समाज में ऐसे हालात न बने. मैंने अपनी पत्नी (जया भादुरी) को कहा है, लड़कियों का हौसला बढ़ाने के लिए मैंने तो पत्र लिख दिया अब तुम्हारी बारी है….तुम भी लड़कों को समझा दो.
फिल्म में सबसे बेहतरीन सीन मुझे लगा जिसमें आपने पार्क में तापसी के साथ चलते हुए उसके सर जैकेट का हुड हटा दिया?
हां, यही तो मेरा कहना है कि तुमने कुछ गलत नहीं किया तो लोगों के सामने सर झुकाने और खुद को छिपाने की क्या जरूरत है. लड़ो खुद के लिए….आगे आओ….
एक सवाल अभिनेत्री तापसी पन्नू से भी किया गया. जब उनसे पूछा कि आपको ऐसी गंभीर और थ्रिलर फिल्म करके कैसा लगा, क्या वाकई फिल्म के किसी सीन में आपने खुद को यौन शोषण और रेप विकटिम के दर्द के करीब पाया?
इस दर्द को जिसने भुगता होता है सही मायने में उस दर्द का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. मुझे सिर्फ एक्टिंग करके इतने दर्द का अहसास हुआ तो, जिनके साथ ऐसी घटना होती होगी उन पर क्या बीतती होगी. इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. फिल्म की शूटिंग के बाद मैं जब अपने घर जाती थी. तो अकेले बैठ जाती थी….उदास हो जाती थी….पता नहीं क्या सोचती रहती थी…किसी से बात करना अच्छा नहीं लगता था. मैं सोचती थी जब रोल निभाने में ऐसा महशूस करती हूं तो जिसपर बीतती होगी उसे कैसा लगता होगा.
आपको बता दें फिल्म ‘पिंक’ की कहानी कामकाजी महिलाओं की सामाजिक मुश्किलों के इर्द-गिर्द घूमती है. ऐसी महिलाएं, जिनके पहनावे, रहने के ढंग और बात करने के अंदाज से कुछ लोग उनके चरित्र को मापते हैं. ये कहानी ऐसी ही तीन रूम मेट्स की हैं, जिनके साथ एक रात कुछ ऐसा होता है जिससे उनकी जिंदगी में तूफान आ जाता है.