बरस बीतते जाएंगे और हम बरसियां मनाते जाएंगे. पर वो… उनका क्या. जिन्होंने ये बरसिय़ां हमें दीं? 26/11 के उन गुनहगारों का हिसाब कब होगा? कसाब को तो फांसी पर लटका दिया. पर क्या एक कसाब को फांसी पर चढ़ा देने से मुंबई का हिसाब बराबर हो गया? कसाब तो एक मोहरा भर था. पर उनका क्या जिन्होंने पूरे 59 घंटे तक पाकिस्तान की गोद में बैठ कर मुंबई के सीने को छलनी क्या. 26/11 के दस साल पूरे होने पर आज हम मुंबई का मातम नहीं मनाएंगे. बल्कि मुंबई के गुनहगारों को उनके ताजा पता-ठिकाने के साथ आपके सामने रखेंगे.
गुनहगार नंबर-1 हाफ़िज़ सईद
वो 26/11 का मास्टरमाइंड है. वो पाकिस्तान में आज़ाद घूम रहा है और वहां का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहा है. वहां सरकार उसे लेकर बयानबाजी तो करती है, लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करती.
गुनहगार नंबर-2 ज़की-उर-रहमान लखवी उर्फ़ चाचा
उसने 26/11 के दसों आतंकियों को ट्रेनिंग दी थी. उऩ्हें आतंकी बनाया था. 2015 में वो पाकिस्तानी जेल से रिहा होकर बाहर आया और अब फिर से आतंकियों की नई खैप तैयार कर रहा है.
गुनहगार नंबर-3 ज़रार शाह
26/11 को हमले के वक्त आतंकियों को कराची में बैठ कर फोन पर निर्देश दे रहा था. वर्तमान में लश्कर-ए-तैय्यबा और आईएसआई के बीच कड़ी का काम कर रहा है.
गुनहगार नंबर-4 डेविड कोलमैन हेडली
हमले से पहले मुंबई की रेकी की और आतंकियों को खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई. हमलों के बाद अमेरिकी कोर्ट ने उसे 35 साल की सज़ा सुनाई और इस वक्त वो अमेरिकी जेल में बंद है.
गुनहगार नंबर-5 ज़बी-उद्-दीन अंसारी उर्फ़ अबू हमज़ा
उसने आतंकियों को खुफिया जानकारियां दी. भारत में उसके खिलाफ मुकदमा चल रहा है. उसे अपने गुनाहों के लिए उम्र कैद की सज़ा मिली है. और वो इस वक्त भारतीय जेल में बंद है.
दस साल पहले जो हुआ वो गुज़र चुका है. लेकिन जिस ग़म से मुंबई गुज़री है वो अब भी उसकी ज़िंदगी का हिस्सा है. 26-11 की मुंबई को जिन हज़ारों आंखों ने देखा वो लगातार आपके सामने था. ये पहला मौक़ा था जब खुले आम चलती गाड़ी से गोलियों की बौछारें हुईं. रेलवे स्टेशन, अस्पताल और होटलों में गोले और गोलियां चलीं. लगातार 59 घंटे तक मुंबई लहुलहान रही. अफ़सोस जो हुआ न वो झूठ था और ना ही ये झूठ है कि इस कत्लेआम के सबसे बड़ा गुनहगार आज दस साल बाद भी ना सिर्फ आज़ाद हैं, बल्कि आज भी हिंदुस्तान को लेकर इनके ज़हरीले बोल कम नहीं हुए हैं.
26/11 के हमले का मास्टर माइंड दस लाख मीलियन डॉलर का इनामी आतंकवादी हाफिज सईद है. 26/11 का सबसे बड़ा गुनहगार. मुंबई हमले का मास्टरमाइंड. पर बिल्कुल आज़ाद. क्या कीजिएगा. वो पाकिस्तान में रहता है ये. इसलिए सब कुछ मुमकिन है. उसकी आज़ादी भी.
बात पिछले साल की है. तारीख थी 23 नवंबर 2017. पूरी बेशर्मी के साथ पाकिस्तान ने तब हाफिज सईद को रिहा कर दिया था. उसी रिहाई के बाद लाहौर में आतंकवादी हाफिज़ सईद ने बाकायदा अपनी रिहाई का जश्न मनाया था. दरअसल जनवरी 2017 में चौतरफा दबाव के बाद पाकिस्तानी हुकूमत ने सईद को उसी के घर में नज़रबंद कर दिया था. मगर नज़रबंदी के 10 महीने बाद हाफिज़ सईद 23 नवंबर 2017 की आधी रात को छूट गया. और फिर सुबह होते ही वो अपने आतंकी संगठन जमात उद दावा के हेडक्वॉर्टर पहुंचा. मिठाई बांटकर जश्न मनाया गया. केक काटा गया. इसके बाद लश्कर ए तैयबा का ये सरगना भारत की तबाही के नारे लगवाने लगा, जो आज तक बदस्तूर जारी है.
हिंदुस्तान के ना जाने कितने ही शहरों के साथ शहर मुंबई के इस सबसे बड़े दुश्मन को यूं रिहा करने की बेशर्मी सिर्फ पाकिस्तान ही कर सकता था. वो पाकिस्तानी सरकार ही है जो भारत की तरफ से 26/11 के सबसे बड़े गुनहगार हाफिज सईद के खिलाफ सौंपे गए तमाम सबूतों को आजतक दबा कर बैठी है. उसके खिलाफ कोर्ट में एक भी सबूत पेश नहीं किया. अलबत्ता दुनिया को दिखाने के लिए कोर्ट के सामने ये ढकोसला जरूरत करती रही कि हाफिज़ सईद की रिहाई पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ा देंगी. इसलिए उसे ना छोड़ा जाए. मगर कोर्ट जब पलट कर सईद के खिलाफ सबूत मांगती तो पाक सरकार खामोश हो जाती.
जनवरी 2017 में रिहाई के साथ ही पिछले दस सालों में ये तीसरा मौका था जब पाकिस्तान ने हाफिज सईद को रिहा किया. 26-11 के मुंबई हमले के बाद भारत के दबाव के चलते उसे दो अलग-अलग मौकों पर गिरफ्तार किया गया था. मगर दोनों ही बार कुछ दिनों बाद ही उसे रिहा कर दिया गया. हालांकि तीसरी और आखिरी बार जनवरी 2017 में उसे हिरासत में लेने के बाद लाहौर के जौहर टाउन के उसी के घर में उसे नज़रबंद किया गया था. उसे जेल नहीं भेजा गया था.