बचाव पक्ष के वकील एके साहनी ने बताया कि इरफान वानी को स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का मेंबर भी बनाया गया था। साहनी ने बताया कि जब इरफान वानी को सिट का मेंबर बनाया था तो लोगों ने एतराज जताया था। साहनी ने बताया कि जब इरफान वानी डोडा जिला के कतरा पुलिस स्टेशन का इंचार्ज था, तब ऋषि कुमार नामक युवक की कस्टडी में मौत और उसकी बहन से रेप के आरोप में वानी पर मामला दर्ज हुआ था।
2007 में इरफान अरेस्ट हुआ, 2009 तक केस चला और 2011 में इसकी जमानत हुई थी। इसके खिलाफ जम्मू बार एसोसिएशन, कठुआ बार एसोसिएशन और पुंछ बार एसोसिएशन ने विरोध दर्ज करवाया, पूरा जम्मू बंद रहा। लोगों की मांग थी कि इस केस में ईमानदार अफसर को जांच अधिकारी लगाया जाए। उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी पूरे केस की पहली कड़ी होता है।
लोगों ने पहले ही चेताया था कि इस अफसर से इंसाफ की उम्मीद नहीं की जा सकती। वहीं इरफान वानी पर मानसिक रोगी होने के आरोप भी लगे। उन्होंने कहा कि इस गवाह का क्रॉस एग्जामिनेशन अभी बाकी है, हमारे पास इस गवाह के खिलाफ एफआईआर की कॉपी हैं, बारी आने पर हर तरह के सवाल पूछे जाएंगे।
एके साहनी ने बताया कि रसाना केस को पठानकोट शिफ्ट करवाने वाले वकील ने केस दर्ज करवाने वाले तालिब हुसैन के किसी भी केस को लड़ने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ रेप और इरादा-ए-कत्ल के मामले दर्ज हैं। उन्होंने बताया कि हुसैन की बेल के खिलाफ सोमवार को जेएंडके हाईकोर्ट में एप्लीकेशन लगाई है।
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