जापान ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता हासिल करने की भारत की कोशिश का सोमवार को समर्थन किया. चीन उसके विरुद्ध है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने अपनी शिखरस्तर वार्ता के दौरान संयुक्त राष्ट्र में ‘‘अविलंब और सार्थक’’ सुधार पर जोर दिया. वार्ता के बाद जारी भारत-जापान साझा विचार पत्र में कहा गया है, ‘‘तीन अंतरराष्ट्रीय निर्यात तंत्रों में भारत की पूर्ण सदस्यता के बाद दोनों नेताओं ने वैश्विक अप्रसार परमाणु प्रयासों को मजबूत करने के लक्ष्य के साथ आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया. ’’
भारत पहले से ही आस्ट्रेलिया ग्रुप, वासेनार व्यवस्था और मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था का सदस्य है. इस पत्र में कहा गया है, ‘‘भारत और जापान 21 वीं सदी की समसामयिक हकीकतों को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र खासकर सुरक्षा परिषद को और वैध, प्रभावी और प्रतिनिधिक बनाने के लिए उसमें अविलंब और सार्थक सुधार की मांग करते हैं.’’
भारत, जापान, ब्राजील और जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट पाने में एक दूसरे के प्रयासों का समर्थन करने के लिए जी4 समूह बनायी है. चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश की कोशिश का इस आधार पर जोरदार विरोध कर रह है कि भारत परमाणु अप्रसार संधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. उसके विरोध के चलते इस समूह में भारत का प्रवेश मुश्किल हो गया है क्योंकि एनएसजी सहमति के आधार पर काम करता है.