मेयर पद के लिए हुए आरक्षण को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। सात निगमों में से पांच निगमों में मेयर पदों को आरक्षण में लाए जाने को आधार बनाया गया था। इस मामले में कोर्ट ने आज सुनवाई की।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता डीके त्यागी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने प्रदेश के सात नगर निगमो में मेयर पद के लिए गलत तरीके से आरक्षण तय किया है। अभी सरकार सात नगर निगमों में चुनाव करा रही है।
मेयर के सात पदों में से पांच पद आरक्षित कर दिए गए हैं और दो पद अनारक्षित हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आरक्षण पचास प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। सरकार ने यह आरक्षण सत्तर प्रतिशत कर दिया है। याचिका में आरक्षण की प्रक्रिया को दोबारा तय करने की मांग की गई थी।