अब इंदौर से हज-2019 के लिए जाने वाले यात्री सीधे नबी के शहर मक्का-मदीना के लिए उड़ान नहीं भर पाएंगे। दो साल से चल रही खींचतान के बाद आखिर एंबारकेशन पॉइंट की सूची से इंदौर का नाम हटा दिया गया।
इसके चलते प्रदेश के हज आवेदन फॉर्म से हज पर जाने के विकल्प से इंदौर का नाम नहीं रखा गया। प्रदेश के लोग भोपाल और मुंबई से हज के लिए जा सकते हैं। आवेदन फॉर्म में इंदौर का नाम हटाने से समाज का एक बड़ा तबका नाराज है।
इंदौर से हज यात्रा 2008 में शुरू हुई थी और 2010 में भोपाल से भी हज के लिए फ्लाइट शुरू हुई। तय कोटे के मुताबिक प्रदेश से हर साल करीब 4500 यात्री हज पर जाते थे। इनमें 22 जिलों के करीब 2500 यात्री इंदौर से उड़ान भरते रहे हैं। 2017 में सरकार ने सब्सिडी 380 के बजाय 200 करोड़ करने का फैसला लिया था।
इसके बाद दिल्ली-मुंबई से जाने वाले यात्रियों के मुकाबले इंदौर और भोपाल से जाने वालों को 35 से 40 हजार रुपए अधिक खर्च करना पड़े। इससे अधिकांश यात्रियों ने हज पर जाने के लिए इंदौर-भोपाल के एंबारकेशन पॉइंट के बजाय मुंबई से जाना ज्यादा बेहतर समझा।
सिर्फ 113 यात्रियों ने इंदौर का चुना
हज 2018 के लिए 113 यात्रियों ने इंदौर को विकल्प के रूप में चुना था। एक फ्लाइट के यात्री भी न होने के बाद सेंट्रल हज कमेटी ने इन यात्रियों को मुंबई से हज पर भेजा। भोपाल के विकल्प को करीब 250 यात्री ने चुना था। इसके चलते दो फ्लाइट से यात्रियों को हज पर भेजा गया था।
इंदौर के साथ पक्षापात, फॉर्म जमा कराने के लिए उपकार्यालय भी नहीं
हज पर जाने वाले यात्रियों की संख्या भोपाल के मुकाबले इंदौर से ज्यादा थी। इसके बावजूद हज की उड़ान इंदौर से बंद होना पक्षपात है। स्थानीय स्तर पर हज की व्यवस्थाओं की देखरेख कर रहे लोगों ने इंदौर को तवज्जो नहीं दी। इसका नतीजा है कि इंदौर का नाम हज आवेदन में किस शहर से जाना है, इसकी सूची में नहीं है। इंदौर में हज आवेदन फॉर्म जमा करने के लिए उपकार्यालय भी नहीं है।