जापानी सरकार द्वारा अब तक अप्रकाशित 1956 की जांच रिपोर्ट की पुष्टि कर दी गयी है, कि प्रतिष्ठित भारतीय नेता सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त, 1945 को ताइपे में विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई, पहले इसकी जांच की गयी और सरकारी रिपोर्टों के मद्देनजर इसकी पुष्टि भी की गयी।
बोस की जर्मनी में रहने वाली बेटी अनीता फाफ, जिन्होंने इस साल के शुरूआत में भारतीय मीडिया को बताया कि वह कई लोगों से परेशान है, जिनका मानना है कि वह दुर्घटना में बच गए थे और मानतें है कि भारत सरकार को टोक्यो से उनकी राख लानी चाहिए।
जापानी सरकार की रिपोर्ट जिसमें जापानी में लिखे हुए सात पृष्ठ और अंग्रेजी में लिखे 10 पृष्ठ शामिल हैं, की आधिकारिक तौर पर इस महीने के आखिर में जारी होने की संभावना है। आशीष रे, जो लंदन में रहतें हैं और बोस के भांजे के पुत्र हैं, जिन्होंने बोस की मौत से जुडी ज्ञात और अज्ञात दस्तावेजों को सालों से इक्कट्ठा किया हैं।
रिपोर्ट जिसका शीर्षक ‘स्वर्गीय सुभाष चंद्र बोस की मौत का कारण और अन्य मामलों की जाँच रिपोर्ट’ का निष्कर्ष है कि उनकी मौत एक विमान दुर्घटना में ताइपे में 18 अगस्त 1945 और उसी शाम वहां के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गयी।
रिपोर्ट के अनुसार, ” जिस विमान में बोस बैठे थे वो ठीक उड़न भरने के बाद ही जमीन पर आ गिरा और ठीक 3 बजे शाम में उन्हें ताइपे के ननमोन आर्मी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहाँ उनकी मौत हो गयी।
रिपोर्ट के निष्कर्ष में यह भी बताया गया कि 22 अगस्त को ही ताइपे नगर श्मशान में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
जनवरी 2016 से ही नरेंद्र मोदी सरकार बोस से संबंधित सैकड़ों फाइलों की छानबीन शुरू कर दी थी, जिसकी मांग उनके ही परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों द्वारा की गयी थी। जबकि परिवार के एक वर्ग का मानना है कि बोस दुर्घटना में बाख गए थे और गुप्त रूप में मई वर्षों से भारत में रहते थे।