पाकिस्तान में कराची शहर के बीचों-बीच। पॉश इलाके की बिल्डिंग में एक फ्लैट। आधी रात। कमरे में बेहद मद्धम रोशनी। दीवारों पर उत्तेजक चित्र। लड़का-लड़की हाथ में हाथ लिए बैठे हैं। दोनों धीरे-धीरे करीब आते हैं…।
यह सीन एक पॉर्न फिल्म की शूटिंग का है। कराची के कई स्टूडियोज में हर रोज ऐसी फिल्में बनती हैं। कारण- ‘गंदी’ फिल्मों की जबरदस्त मांग है। यहां ऐसी फिल्म बनाने वाली इंडस्ट्री तेजी से फल-फूल रही है। रोज नए चेहरे आ रहे हैं। कुछ स्टार्स हैं तो कुछ न्यूकमर्स।
ट्रिब्यून की रिपोर्ट में इंडस्ट्री से जुड़े लोग बताते हैं, दुनिया में कुछ ही चीजें लोगों को आपस में जोड़ती हैं। खाना-पीना और शिक्षा के अलावा ऑनलाइन पॉर्न भी इसमें शूमार है। पाकिस्तान में बनने वाली ये ‘गंदी’ फिल्में दुनियाभर में पसंद की जाती हैं।
पाकिस्तान: कम खर्च में मोटी कमाई
-पाकिस्तान में एक औसत पॉर्न फिल्म चार से छह लाख रुपए में बनती है।
-ऐसी फिल्म प्रॉड्यूसर को दस लाख रुपए आराम से कमा कर दे जाती है।
-सबसे बड़ा खर्च अभिनेत्री की फीस जो 30 से 50 हजार रुपए होती है।
-अधिकांश फिल्मों में युवा अपनी मर्जी से बिना फीस के रोल करते हैं।
कहानी एक स्टूडियो की
कराची के डिफेंस बाजार में ऐसा ही एक स्टूडियो है। इसकी शुरुआत जुनैद और टीना ने मिलकर 2002 में की थी। जुनैद प्रॉड्यूसर है जबकि टीना डायरेक्टर। टीना कभी अभिनेत्री हुआ करती थी। दोनों मिलकर इस स्टूडियो में अब तक 90 फिल्में शूट कर चुके हैं। अब तकनीक का भी भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है।
बकौल टीना, शुरू में हम अंग्रेजी फिल्में दिखाते थे, लेकिन फिर अहसास हुआ कि लोकल टच देना चाहिए। हम दुनिया को दिखाना चाहते थे कि पाकिस्तान में सेक्स कैसे होता है। 2005 में इनकी बनाई एक फिल्म को जबरदस्त कामयाबी मिली। इसके बाद तो हर स्टूडियो में ऐसी फिल्मों के लिए खास बंदोस्त कर दिए गए।
यूं होता है प्रचार-प्रसार
फिल्म बनाने जितना ही जरूरी है उसे शौकीनों तक पहुंचाना। सीडी की दुकानों के जरिए इन्हें बाजार तक पहुंचाया जाता है। पूरे देश में वितरक हैं, साथ ही वेबसाइट्स पर भी अपलोड की जाती हैं। फिल्म निर्माण से जुड़े लोग दर्शक बनकर ऑनलाइन चैट डिस्कशन्स में हिस्सा लेते हैं, फिल्म की क्वालिटी और पात्रों की सुंदरता पर बातें करते हैं, ताकि दूसरे लोग उन्हें पढ़ें और फिल्म देखें।
पाबंदी के बावजूद पाकिस्तान में धड़ल्ले से पॉर्न फिल्में बन रही हैं। खासतौर पर कराची बड़ा हब बन गया है। लाहौर की हीरा मंडी भी इसी के कारण उजड़ गई। सरकार की तरफ से पाबंदी है, लेकिन संभवतया यही पाबंदी बंद कमरों में बनने वाली ऐसी फिल्मों की लोकप्रियता का बड़ा कारण है।