द्वापर युग मैं, महाभारत युद्ध के ३६ साल पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका (Lord Krishna Dwarika Nagri) समुद्र में विलीन हो गई थी। हालांकि भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका के समुद्र में विलीन से पहले ही देह त्याग कर चुके थे।
श्रीकृष्ण द्वारिका के समुद्र में विलीन से पहले
भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका के डूबने के २ प्रमूख कारण माने जा रहे हैं।
पहला कारण:भगवान श्री कृष्ण को दिया गया माता गांधारी क श्राप
दूसरा कारण: ऋषि मुनियों द्वारा भगवान श्री कृष्ण के पुत्र सांब को दिया श्राप। भगवान श्रीकृष्ण के देह त्याग के बाद अर्जुन द्वारिका आये और यदुवंश की समस्त स्त्रियों एवं द्वारिका वासियों को हस्तिनापुर ले चले। अर्जून एवं यदूवंशी स्त्रियों के द्वारिका से बाहर निकलते ही द्वारिका नगरी समुद्र में समा गयी।
द्वारिका नगरी के समुद्र में विलीन होने के कारणों का पता लगाने एवं भगवान श्री कृष्ण की इस नगरी को ढूढ़ने के लिए वैज्ञानिक कई सालों से लगे हुये थे. वैज्ञानिक गण इस से जुड़े सवालों के जवाब तलाशते रहे और आखिरकार उन्हे इसके जवाब भी मिल गये हैं। वैज्ञानिकों को समुद्र में श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका के ऐसे अवशेष मिले हैं जिनसे द्वारिका के अस्तित्व और समुद्र मैं विलीन होने के कारणों का पता चलता है।
वीडियो में द्वारिका के प्राचीन पृष्ठभूमि के अस्तित्व एवं अवशेष की तस्वीरें दिखाई गई हैं। वैज्ञानिकों को ये सभी अवशेष समुद्र की गहराइयों मै कई सौ फ़ीट नीचे मिले। समुद्र की गहराइयों में डूबे द्वारिका के इस रहस्य को वैज्ञानिक गण सुलझाने में लगे हुए हैं।