जम्मू-कश्मीर के हालात पर राज्य की विपक्षी पार्टियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के कुछ नेताओं से मुलाकात की थी। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख उमर अब्दुला की अगुआई में यह प्रतिनिधिमंडल तीन दिनों तक दिल्ली में था। राजनीतिक हलकों में इस कदम को ‘भूमिका में बदलाव’ के तौर पर देखा जा रहा है।
मोदी और विपक्ष के कुछ नेताओं से मुलाकात की
ऐसा इसलिए क्योंकि पहले जब कभी भी जम्मू-कश्मीर का माहौल खराब होता था तो जख्मों पर मरहम लगाने के लिए दिल्ली से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर जाता था और हालात को काबू में करने के लिए सभी पक्षों से बातचीत करता था। तो आखिर इस बदलाव की वजह क्या है?
एक तरफ जहां दिल्ली में जब केंद्र सरकार ने संसद सत्र के दौरान एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को घाटी में भेजने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया था, वहीं दूसरी तरफ श्रीनगर में महबूबा ने विपक्षी पार्टियों की उस मांग को खारिज कर दिया था कि राज्य की हालिता स्थिति पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए और उनके नेतृत्व में एक सर्वदलीय बैठक दिल्ली जाए।
‘भूमिका में बदलाव’ वाले विपक्ष के इस कदम के पीछे एक वजह यह भी रही कि उन्हें इस बात की आशंका सता रही थी कि राज्य के चरमपंथी तत्व इस स्थिति का इस्तेमाल अपने हक में कर रहे हैं।