2 अक्टूबर को दिल्ली में किसान रैली के दौरान हुए उपद्रव को लेकर किसानों में आक्रोश है. मंगलवार देर रात किसान भले दिल्ली से लौट गए लेकिन अब यमुना एक्सप्रेसवे पर उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और किसानों को समझाने की कोशिश चल रही है.
2 अक्टूबर के दिन गांधी जी की स्मारक पर श्रद्धांजलि देने जुटे किसानों को दिल्ली में घुसने नहीं दिया गया था लेकिन आधी रात होते-होते पुलिस और सरकार का इरादा बदल गया और दिल्ली के दरवाजे किसानों के लिए खुल गए. पुलिस पीछे हट गई और सफेद झंडे लहराते किसानों के ट्रैक्टर राजधानी में घुसने लगे. हर ट्रैक्टर में किसान सवार थे.
दिल्ली पुलिस ने देर रात किसान घाट जाने की इजाजत दे दी और इसके साथ जुलूस की शक्ल में किसानों का रेला राजघाट पहुंचा. किसानों ने बापू को श्रद्धांजलि दी और इसके बाद आंदोलन खत्म हो गया. किसान भले अपने-अपने घर लौट गए लेकिन यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर लाठीचार्ज के खिलाफ किसान मथुरा में सड़कों पर उतर गए हैं.
उधर, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि इस मामले में आधिकारिक घोषणा सरकार की ओर से छह दिनों के अंदर कर दी जाएगी. सरकार ने मंगलवार को गाजीपुर में पुलिस बल के साथ संघर्ष के दौरान टूटे ट्रैक्टरों की मरम्मत के पैसे भी किसानों को देने का भरोसा दिया है.
किसानों ने बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगाए. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की भी तारीफ की जिन्हें देश के किसानों के नायक के रूप में जाना जाता है और किसानों के एकजुट आने की तारीफ की. किसान 15 मांगों के चार्टर के साथ आए थे जिसमें कर्ज माफी और फसलों के लिए उचित कीमतें शामिल हैं, जिन्हें वे बिना देरी के लागू करवाना चाहते हैं.
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपना मार्च 10 दिन पहले बीकेयू के नेतृत्व में हरिद्वार से शुरू किया था और मंगलवार को वे यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचे थे, जहां उन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी.