दुनियाभर में हर्ट के लाखों मरीजों का इस्तेमाल अब नई टेक्निक के इलेक्ट्रिक गुब्बारे से किया जा सकेगा। दुनिया भर में इसको लेकर अलग-अलग परीक्षण किया जा रहा है। हालांकि सबसे पहले ब्रिटेन में इससे इलाज किया जा सकेगा।
कहा जा रहा है कि इस इनोवेशन के बाद अनियमित धड़कन की बीमारी को दूर करने के लिए जटिल तकनीकों की जरूरत नहीं पड़ेगी। बता दें कि इस बीमारी का नाम आर्टियल फाइब्रिलेशन है, जिसके सिर्फ दस लाख मरीज अकेले ब्रिटेन में ही हैं। जिसका इलाज दवा या फिर सर्जरी से ही किया जाता है। इस बीमारी में फेफड़े से दिल तक ऑक्सीजन ले जाने वाली एक या सभी चार रक्त कोशिका में असामान्य इलेक्ट्रिक पल्स शुरू हो जाती है।
जिसके कारण दिल तेजी से धड़कने लगता है। चक्कर, थकान और सांस फूलने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। अनियमित धड़कन के चलते हृदय ठीक से रक्त पंप नहीं कर पाता और वहां खून इकट्ठा होने लगता है। इससे रक्त के थक्के बनते हैं और यह रक्त का प्रवाह रोक देता, जो स्ट्रोक और दिल के दौरे का कारण बन जाता है। रिसर्चर्स के मुताबिक, वर्तमान में दवा से दिल की गति को कंट्रोल किया जाता है और रक्त पतला करने की दवा दी जाती है। पर गंभीर बीमारी में दवा असर नहीं करती है।
इस बीमारी को ठीक करने के दो ही तरीके हैं। पहले प्रकार में 28 मिमी का गुब्बारा जांघ की नस से फेफड़े की रक्त कोशिका के प्रवेश द्वार तक पहुंचाया जाता है। फिर नाइट्रोजन ऑक्साइड से गुब्बारे को माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करते हैं। इससे असामान्य पल्स बंद हो जाती है। सर्जरी में रक्त कोशिका के चारों ओर हिट का छल्ला तैयार कर असामान्य पल्स को रोका जाता है। पर ये काफी टफ है इसलिए कुछ ही मरीजों पर आजमाई जा सकती है।
ब्रिटेन के सेंट बार्थोलोमेव अस्पताल में ट्रायल की जा रही नई तकनीक रेडियो फ्रिक्वेंसी बैलून एबलेशन में दोनों सर्जरी मिली हुई हैं। बैलून में लगे दस इलेक्ट्रोड रक्त कोशिका के प्रवेश द्वार पर गर्मी की सटीक खुराक पहुंचाते हैं, जिससे असामान्य सिग्नल बंद हो जाते हैं। ये बैलून सारी कोशिकाओं पर एक साथ ही काम करता है।